प्रदीप द्विवेदी. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अयोग्य नहीं ठहराए जाएंगे और अगर ऐसा हुआ भी तो उन्हें विधान परिषद के सदस्य के तौर पर निर्वाचित किया जाएगा और वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे?
क्या यह सुप्रीम कोर्ट को अप्रत्यक्ष जवाब है कि- फैसला कुछ भी हो, फर्क नहीं पड़ता?
याद रहे, सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर 2023 को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना के दोनों गुटों की ओर से दायर याचिकाओं पर फैसला करने के लिए एक वास्तविक समय-सीमा बताने का अंतिम अवसर दिया था, शिवसेना में टूट के बाद, ये याचिकाएं एक-दूसरे के गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के गुटों की ओर से दायर की गई थीं.
उल्लेखनीय है कि.... सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक कई विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए उद्धव गुट द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला करने में देरी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के प्रति नाराजगी जताई थी और कहा था कि- वह कोर्ट के आदेशों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर 2023 को विधानसभा अध्यक्ष को याचिकाओं पर निर्णय के लिए समय सीमा बताने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
आश्चर्यजनक बात यह है कि- उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस से शनिवार को कहा कि.... पहली बात तो यह है कि शिंदे अयोग्य नहीं ठहराए जाएंगे और अगर उन्हें अयोग्य ठहरा भी दिया गया, तो हम उन्हें विधान परिषद के सदस्य के तौर पर निर्वाचित करेंगे और वह मुख्यमंत्री के पद पर बने रहेंगे, अगला चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में होगा?
बड़ा सवाल यह है कि- क्या यह अदालत और प्रजातंत्र की अवमानना नहीं है?
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