अनिल मिश्र/पटना. बिहार में छठे चरण में बहाल करीब 22 हजार बीएड शिक्षकों को आज पटना उच्च न्यायालय ने अयोग्य करार दे दिया है. जिसके कारण पिछले दो वर्षों से नियोजित शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे इन शिक्षकों की नौकरी उच्च न्यायालय के आदेश के बाद समाप्त हो गई है.
उच्च न्यायालय ने बुधवार को बिहार प्राथमिक शिक्षक पद पर पिछले 2वर्षों से नियुक्त बीएड डिग्री धारक नियोजित शिक्षकों (छठे चरण)को नौकरी से हटाने का फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद 2022 में 42हजार नियोजित शिक्षकों में से 22 हजार शिक्षकों को सेवा मुक्त होना पड़ सकता है.
पटना उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आलोक में स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार प्रदेश में प्राथमिक विद्यालय के वर्गो (कक्षा एक से पांच तक)में बीएड डिग्री धारक शिक्षक के रुप में नियुक्त नहीं होंगे. न्यायालय ने ये भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार प्राथमिक विद्यालय के कक्षाओं में डीएलएड डिग्रीधारी हीं शिक्षक नियुक्त करे.
मुख्य न्यायाधीश के वी चन्द्रन एवं न्यायाधीश राजीव राॅय की खंडपीठ ने ललन कुमार एवं अन्य लोगों द्वारा बड़ी संख्या में दायर याचिकाएं पर आज यह फैसला सुनाई गई.
न्यायालय ने कहा कि रिट याचिकाओं को इस निष्कर्ष के साथ स्वीकार किया जाता है कि "एनसीटीई "द्वारा जारी दिनांक 28.06.2018की अधिसूचना अब लागू नहीं है. साथ हीं बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक के रुप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता.
न्यायालय ने यह भी कहा कि जो नियुक्तियां की गई है उन पर नए सिरे से काम करना होगा और मूल के अनुरूप हीं योग्य उम्मीदवार को नियुक्त करना होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बिहार के भोजपुर में चौदह मिनट में साढ़े सोलह लाख रुपए की डकैती