#AajKaDin: शनिवार, 30 दिसम्बर 2023, हनुमानजी के भक्तों को कभी परेशान नहीं करते हैं- शनिदेव!

#AajKaDin: शनिवार, 30 दिसम्बर 2023, हनुमानजी के भक्तों को कभी परेशान नहीं करते हैं- शनिदेव!

प्रेषित समय :20:40:15 PM / Fri, Dec 29th, 2023
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- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी (व्हाट्सएप- 8875863494)
* 17 जनवरी 2023, मंगलवार को 08.02 पीएम से शनि का कुम्भ राशि में गोचर है.

* 29 मार्च 2025, शनिवार को 11.01 पीएम से शनि का मीन राशि में गोचर है.
* वर्ष 2024 में शनि कुम्भ राशि में ही रहेंगे.

* शनि की तीन स्थितियां है- कारक, अकारक और सम!
* जीवन में शनि अकारक है तो सहकर्मियों का सहयोग नहीं मिलता है, घर क्षतिग्रस्त हो जाता है, शुभ कार्य धीमी गति से होते हैं, शरीर के विविध अंगों के बाल झड़ने लगते हैं आदि.
* अकारक शनि होने पर शनि से संबंधित वस्तुओं... लोहा, काली उड़द, कोयला, तिल, जौ, काले वस्त्र, चमड़ा, काला सरसों आदि का यथाशक्ति दान करना चाहिए.
* शनिदेव, राम भक्त हनुमान के भक्तों को कभी परेशान नहीं करते हैं इसलिए शनि द्वारा प्रदत्त परेशानियों से राहत के लिए नियमित रूप से महावीर हनुमान की पूजा-अर्चना करें!

* श्रीहनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी भाषा में लिखी, जिसमें 40 छन्द हैं, नियमितरूप से श्रीहनुमान चालीसा का पाठ करें....

.. श्रीहनुमान चालीसा ..

॥ दोहा ॥

श्री गुरु चरन सरोज रज,निज मनु मुकुर सुधारि.

बरनउं रघुबर विमल जसु,जो दायकु फल चारि॥

भावार्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाले हैं.

बुद्धिहीन तनु जानिकै,सुमिरौं पवन-कुमार.

बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं,हरहु कलेश विकार॥

भावार्थ- हे पवन कुमार! मैं आपका सुमिरन करता हूँ. आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है. मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए.

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर.जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

भावार्थ- श्री हनुमान जी! आपकी जय हो. आपका ज्ञान और गुण अथाह है. हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति हैं.

राम दूत अतुलित बल धामा.अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

भावार्थ- हे पवनसुत अञ्जनी नन्दन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं है.

महावीर विक्रम बजरंगी.कुमति निवार सुमति के संगी॥

भावार्थ- हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले हैं. आप खराब बुद्धि को दूर करते हैं, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी और सहायक है.

कंचन बरन बिराज सुवेसा.कानन कुण्डल कुंचित केसा॥

भावार्थ- आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं.

हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजै.काँधे मूँज जनेऊ साजै॥

भावार्थ- आपके हाथ मे बज्र और ध्वजा हैं और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है.

शंकर सुवन केसरीनन्दन.तेज प्रताप महा जग वन्दन॥

भावार्थ- हे शंकर के अवतार! हे केसरी नन्दन! आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर मे वन्दना होती है.

विद्यावान गुणी अति चातुर.राम काज करिबे को आतुर॥

भावार्थ- आप प्रकाण्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है.

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया.राम लखन सीता मन बसिया॥

भावार्थ- आप श्री राम चरित सुनने मे आनन्द रस लेते हैं. श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय मे बसे रहते हैं.

सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा.विकट रुप धरि लंक जरावा॥

भावार्थ- आपने अपना बहुत छोटा रुप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया.

भीम रुप धरि असुर संहारे.रामचन्द्र के काज संवारे॥

भावार्थ- आपने विकराल रुप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उदेश्यों को सफल कराया.

लाय सजीवन लखन जियाये.श्रीरघुवीर हरषि उर लाये॥

भावार्थ- आपने सञ्जीवनी बुटी लाकर लक्ष्मणजी के प्राण बचाए जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया.

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई.तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

भावार्थ- श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो.

सहस बदन तुम्हरो यश गावैं.अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥

भावार्थ- श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय हैं.

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा.नारद सारद सहित अहीसा॥

भावार्थ- श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुणगान करते हैं.

जम कुबेर दिकपाल जहां ते.कवि कोबिद कहि सके कहां ते॥

भावार्थ- यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पण्डित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते.

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा.राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

भावार्थ- आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बनें.

तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना.लंकेश्वर भये सब जग जाना॥

भावार्थ- आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बनें, इसको सब संसार जानता हैं.

जुग सहस्त्र योजन पर भानू .लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥

भावार्थ- जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे. दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया.

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं.जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥

भावार्थ- आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह मे रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है.

दुर्गम काज जगत के जेते.सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

भावार्थ- संसार मे जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते हैं.

राम दुआरे तुम रखवारे.होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

भावार्थ- श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले हैं, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ हैं.

सब सुख लहै तुम्हारी सरना.तुम रक्षक काहू को डरना॥

भावार्थ- जो भी आपकी शरण में आते हैं, उन सभी को आनन्द प्राप्त होता हैं, और जब आप रक्षक हैं, तो फिर किसी का डर नहीं रहता.

आपन तेज सम्हारो आपै.तीनों लोक हांक तें कांपै॥

भावार्थ- आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते हैं.

भूत पिशाच निकट नहिं आवै.महावीर जब नाम सुनावै॥

भावार्थ- जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नहीं भटक सकतें.

नासै रोग हरै सब पीरा.जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

भावार्थ- वीर हनुमान जी! आपका निरन्तर जप करने से सब रोग चले जाते हैं, और सब पीड़ा मिट जाती हैं.

संकट ते हनुमान छुड़ावै.मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

भावार्थ- हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आप में रहता हैं, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते हैं.

सब पर राम तपस्वी राजा.तिन के काज सकल तुम साजा॥

भावार्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यो को आपने सहज में कर दिया.

और मनोरथ जो कोई लावै.सोइ अमित जीवन फ़ल पावै॥

भावार्थ- जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता हैं जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती.

चारों जुग परताप तुम्हारा.है परसिद्ध जगत उजियारा॥

भावार्थ- चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान हैं.

साधु सन्त के तुम रखवारे.असुर निकन्दन राम दुलारे॥

भावार्थ- हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते हैं और दुष्टों का नाश करते हैं.

अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता.अस बर दीन जानकी माता॥

भावार्थ- आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ हैं, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियाँ (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व) और नौ निधियाँ दे सकते हैं.

राम रसायन तुम्हरे पासा.सदा रहो रघुपति के दासा॥

भावार्थ- आप निरन्तर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते हैं, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है.

तुम्हरे भजन राम को पावै.जनम जनम के दुख बिसरावै॥

भावार्थ- आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते हैं, और जन्म जन्मान्तर के दुःख दूर होते हैं.

अन्तकाल रघुबर पुर जाई.जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥

भावार्थ- अन्त समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते हैं और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे.

और देवता चित्त न धरई.हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

भावार्थ- हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती.

संकट कटै मिटै सब पीरा.जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

भावार्थ- हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती हैं.

जय जय जय हनुमान गोसाई.कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥

भावार्थ- हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए.

जो शत बार पाठ कर सोई.छूटहिं बंदि महा सुख होई॥

भावार्थ- जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परम आनन्द मिलेगा.

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा.होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

भावार्थ- जो भी व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी. भगवान शंकर ने यह लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी.

तुलसीदास सदा हरि चेरा.कीजै नाथ ह्रदय महँ डेरा॥

भावार्थ- हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है. इसलिए आप उसके हृदय मे निवास कीजिए.

॥ दोहा ॥

पवनतनय संकट हरन,मंगल मूरति रुप.

राम लखन सीता सहित,ह्रदय बसहु सुर भूप॥

भावार्थ- हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरुप है. हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय मे निवास कीजिए.

श्री त्रिपुरा सुंदरी पंचांग- 30 दिसम्बर 2023

* तिथि तृतीया - 09:47 तक, नक्षत्र आश्लेषा - 29:43 तक, करण विष्टि - 09:47 तक, बव - 22:49 तक, पक्ष कृष्ण, योग विश्कुम्भ - 26:55 तक, वार शनिवार
* सूर्योदय 07:11, सूर्यास्त18:11
* चन्द्र राशि कर्क - 29:43 तक, चन्द्रोदय 21:11, चन्द्रास्त 09:47
* शक सम्वत 1945, विक्रम सम्वत 2080
* मास पूर्णिमांत पौष, मास अमांत मार्गशीर्ष
* राहुकाल 09:55 से 11:19 तक
* शुभ मुहूर्त अभिजीत 12:19 से 13:03 तक
* दिशाशूल पूर्व
* ताराबल- अश्विनी, भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती
* चन्द्रबल- वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ

चौघड़िया- 30 दिसम्बर 2023
* दिन का चौघड़िया
काल - 07:11 ए एम से 08:33 ए एम
शुभ - 08:33 ए एम से 09:56 ए एम
रोग - 09:56 ए एम से 11:18 ए एम
उद्वेग - 11:18 ए एम से 12:41 पी एम
चर - 12:41 पी एम से 02:03 पी एम
लाभ - 02:03 पी एम से 03:26 पी एम
अमृत - 03:26 पी एम से 04:48 पी एम
काल - 04:48 पी एम से 06:11 पी एम
* रात्रि का चौघड़िया
लाभ - 06:11 पी एम से 07:48 पी एम
उद्वेग - 07:48 पी एम से 09:26 पी एम
शुभ - 09:26 पी एम से 11:03 पी एम
अमृत - 11:03 पी एम से 12:41 ए एम
चर - 12:41 ए एम से 02:19 ए एम
रोग - 02:19 ए एम से 03:56 ए एम
काल - 03:56 ए एम से 05:34 ए एम
लाभ - 05:34 ए एम से 07:11 ए एम
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा मुंबई का समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!

आज का राशिफल

मेष राशि:- आज  विवाह की बात आगे बढ़ सकती है. अनावश्‍यक क्रोध से बचें. चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे. नए वस्‍त्र, आभूषण खरीदने का मन बनेगा. प्रवास संभव.

वृष राशि:- आज साथी से वैचारिक मतभेद उत्‍पन्‍न होगा. प्रेम में असफलता प्राप्‍त हो सकती है. अपनी व्‍यापारिक योजनाअों को गुप्‍त रखें. धोखे की आशंका है. पत्‍नी की सलाह काम आ सकती है. वाणी माधुर्य का लाभ लें.

मिथुन राशि:- आज भाग्‍य का साथ मिलेगा एवं अटके कार्यों में गति आएगी. लाभ में वृद्धि होगी. परिवार में सुख का वातावरण रहेगा. धर्म कर्म के कार्यों में रुचि बढ़ेगी. परिवार के साथ धार्मिक यात्रा सुखद रहेगी.

कर्क राशि:- आज आपसी लड़ाई झगड़ा कोर्ट तक पहुंच सकता है. मित्रों के साथ मनोरंजक यात्रा हो सकती है. सरकारी कार्य गति पकड़ेंगे. परिवार में वृद्धजनों की सेहत की चिंता हो सकती है.

सिंह राशि:- आज दिनचर्या अस्‍तव्‍यस्‍त रहेगी. आलस्‍य व थकान का अनुभव करेंगे. वाहन सावधानीपूर्वक चलाएं. किराएदार से विवाद हो सकता है. परिवार में कोई धार्मिक आयोजन हो सकता है. पूजा पाठ से तनाव दूर होगा.

कन्या राशि:- आज अपने क्रोध व आवेश पर नियंत्रण रखें. कुछ साहसी फैसलों के कारण सफलता मिल सकती है. भाई बहन के मध्‍य प्रेम बढ़ेगा. आय व्‍यय का संतुलन बना रहेगा. सिरदर्द की समस्‍या हो सकती है.

तुला राशि:- आज धन कमाने के उचित अवसर मिलेंगे. वाहन सावधानीपूर्वक चलाएं. निवेश सोच समझकर करें. किसी अप्रिय घटना का सामना करना पड़ेगा. स्‍वभाव चिड़चिड़ा रहेगा. यात्रा टालें.

वृश्चिक राशि:- आज संयमित खानपान रखें. अधिक जल का सेव करें. कोई धार्मिक अनुष्‍ठान या पूजा करने की योजना बनेगी. वाहन सुख मिलेगा. यात्रा से अर्थ लाभ हो सकता है.

धनु राशि:- आज थकावट व चिंता रह सकती है. खानपान का शौक सेहत खराब कर सकता है. दैनिक कार्य आसानी से हो जाएंगे. परिवार का सभी कार्यों में सहयोग मिलेगा. पत्‍नी को उपहार दे सकते हैं.

मकर राशि:- आज बुरी आदतों से दूर रहें. आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी. परिवार के साथ किसी तीर्थस्‍थल पर जा सकते हैं. मेहमानों का आगमन होगा. सरकारी कर्मचारी को लाभ की संभावना है.

कुम्भ राशि:- आज आय की स्थिति बेहतर बनेगी. वैवाहिक जीवन सुखमय होगा. विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता मिलेगी. नए संपर्कों का लाभ मिलेगा. मित्रों के साथ भ्रमण, मनोरंजन में समय बीते

मीन राशि:- आज लंबे समय से रुके कार्य गति पकड़ेंगे. भेंट व मुलाकातों का दौर जारी रहेगा. जीवनसाथी के साथ समस्‍या साझा कर सकते हैं. सरकारी कर्मचारियों को लाभ की संभावना है. यात्रा टालें.

* आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ)  वाट्सएप नम्बर 7879372913 
* यहां राशिफल चन्द्र के गोचर पर आधारित है, व्यक्तिगत जन्म के ग्रह और अन्य ग्रहों के गोचर के कारण शुभाशुभ परिणामों में कमी-वृद्धि संभव है, इसलिए अच्छे समय का सद्उपयोग करें और खराब समय में सतर्क रहें.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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