नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार (29 जनवरी) को एक सेवानिवृत्त वायु सैनिक द्वारा दायर अवमानना याचिका पर भारतीय सेना और वायुसेना से जवाब मांगा, जिन्हें 2002 के ऑपरेशन पराक्रम के दौरान एक सैन्य अस्पताल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बाद एड्स होने के कारण पिछले साल शीर्ष अदालत ने 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा देने का निर्देश दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा बलों को नोटिस जारी करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने अवमानना याचिका पर सुनवाई टालने के वायुसेना के अनुरोध को खारिज कर दिया, क्योंकि 30 सितंबर 2023 के आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत से अनुरोध किया कि समीक्षा याचिका पर फैसले के बाद अवमानना याचिका पर सुनवाई की जाए. अदालत ने मामले को चार सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए कहा, ‘आप इसे सूचीबद्ध करें और चार सप्ताह में शीघ्र सुनवाई करें, अन्यथा हम इस मामले को आगे बढ़ाएंगे.’
अधिवक्ता वंशजा शुक्ला न्याय मित्र के रूप में उपस्थित होते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को चिकित्सा या मुकदमेबाजी लागत के लिए धन नहीं मिला है. अदालत ने नोट किया कि शुक्ला, जिन्होंने मुआवजे पर आदेश पारित करने में अदालत की सहायता की थी, को उनकी सहायता के लिए 50,000 रुपये के मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है.
सेवानिवृत्त कॉरपोरल आशीष कुमार चौहान मई 1996 में वायुसेना में शामिल हुए थे. दुर्भाग्यपूर्ण ब्लड ट्रांसफ्यूजन प्रकरण जुलाई 2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान हुआ, जब भारत ने संसद पर हमले के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर सेना तैनात की थी. अचानक तबीयत खराब होने के कारण चौहान को जम्मू के एक सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां बिना सहमति के उन्हें एक यूनिट खून चढ़ा दिया गया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जब तेजस्वी ने बयान वापस ले लिया तो मुकदमा क्यों जारी रहे, टाली सुनवाई
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