जन्मकुंडली के एकादश भाव से आय, लाभ, पिता का धन, वाहन, बड़ा भाई – बहिन, ऐश्वर्य के साधन, पिंडलियाँ, कान, पुत्रवधू आदि का विचार किया जाता है.
लाभ भाव में स्थित सूर्य का भाव फल :
लाभ भाव में स्थित सूर्य बलवान हो तो राजसेवक, ज्ञानी, यशस्वी, सत्कर्मी, न्यायाधीश, प्रतापी, उत्तम वाहनों से युक्त, धनी, ऐश्वर्यवान, दूरदर्शी, सभी कार्यों को सिद्ध करने वाला, पिता, पैतृक व्यवसाय, अनाज, शहद, ऊन, स्वर्ण-ताम्र आदि धातु से लाभ उठाने वाला तथा निर्बल हो तो कान का रोगी, बाजू में पीड़ा से युक्त तथा राज्य से दण्डित होता हैं.
लाभ भाव में स्थित चंद्रमा का भाव फल
जातक प्रसिद्ध, मनस्वी, दीर्घायु, धनी, उत्तम वाहन का सुख प्राप्त करने वाला, विद्वान, उपकारी, गुणवान, मित्रवान, सदैव प्रसन्न रहने वाला, उत्तम भोगों का भोग करने वाला होता है.
श्वेत तथा जलोत्पन्न पदार्थों से लाभ उठाता है.
लाभ भाव में स्थित मंगल से जातक शत्रु नाशक, संतान सुख में बाधा वाला, धनवान, जमीन जायदाद तथा वाहन से सुख व लाभ प्राप्त करने वाला, गुणवान, बोलने में चतुर होता है.
लाभ भाव में स्थित बुध से जातक नौकर चाकरों से युक्त, अनेक विषयों का ज्ञाता, सम्पत्तिवान, ज्ञानी, गुणवान, धनी, यशस्वी, भोगी, विख्यात, आनंदित, व्यापार शिल्प लेखन आदि से लाभ उठाने वाला होता है.
लाभ भाव में स्थित गुरु से जातक पुत्रवान, विद्यावान, अनेक मार्गों से धन का लाभ अर्जित करने वाला, दीर्घायु, कुशाग्र बुद्धि का, उत्तम वस्त्र अलंकार व आभूषणों को धारण करने वाला निरोग तथा श्रेष्ठ वाहनों का स्वामी होता है.
लाभ भाव में स्थित शुक्र से जातक सुखी, गुणवान, विद्वान, अनेक वाहनों का स्वामी, धनाढ्य तथा व्यवसाय से बहुत लाभ उठाने वाला होता है.
लाभ भाव में स्थित शनि से जातक दीर्घायु, धनवान, निरोग, यशस्वी, स्थिर संपत्ति वाला, समृद्ध तथा उत्तम वाहन सुख भोगने वाला होता है.
लाभ भाव में स्थित राहु से पुत्रवान, अपनी बुद्धि से दूसरों का धन अपहरण करने वाला, विद्वान, धनी, सेवकों से युक्त, कान में पीड़ा वाला, विदेश से लाभ उठाने वाला होता है.
लाभ भाव में स्थित केतु से जातक भाग्यवान, पराक्रमी, लोकप्रिय, प्रशंसित तथा सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त करने वाला होता है .
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