ज्ञानपीठ पुरस्कार: जगतगुरु रामभद्राचार्य और गीतकार गुलज़ार को मिलेगा, चयन समिति ने किया ऐलान

ज्ञानपीठ पुरस्कार: जगतगुरु रामभद्राचार्य और गीतकार गुलज़ार को मिलेगा, चयन समिति ने किया ऐलान

प्रेषित समय :20:05:35 PM / Sat, Feb 17th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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नई दिल्ली. ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा की. इस वर्ष यह पुरस्कार दो भाषाओं संस्कृत के लिए जगतगुरु रामभद्राचार्य और उर्दू के लिए विख्यात गीतकार गुलज़ार को दिए जाने की घोषणा की गई है. भारतीय ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आर. एन. तिवारी ने बताया कि सुप्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता के हुई चयन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया. बैठक में चयन समिति के अन्य सदस्य और ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसुदन आनन्द शामिल थे.

ज्ञात हो कि सन 1944 में स्थापित भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा वर्ष 1965 से भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है. संस्कृत भाषा को दूसरी बार और उर्दू के लिए पांचवीं बार यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है. देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में विजेताओं को पुरस्कार स्वरुप रुपये 11 लाख रुपए की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा.

1950 में जौनपुर (उत्तर प्रदेश) के खांदीखुर्द गांव में जन्मे रामभद्राचार्य चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं. वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 से प्रतिष्ठित हैं. वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं. वे बहुभाषाविद् हैं और 22 भाषाएं बोलते हैं. वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं.

वहीं, भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित होने वाले सम्पूर्ण सिंह कालरा (1934) गुलज़ार नाम से प्रसिद्ध हैं व हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं. इसके अतिरिक्त वे एक कवि, पटकथा लेखक, फि़ल्म निर्देशक, नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर हैं. उनकी रचनाएं मुख्यत हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं. गुलज़ार को वर्ष 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष 2004 में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है.

वर्ष 2009 में डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर में उनके लिखे गीत जय हो के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है. इसी गीत के लिए उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. अपनी लम्बी फि़ल्मी यात्रा के साथ-साथ गुलज़ार अदब के मैदान में नई-नई मंजि़लें तय करते रहे हैं. नज़्म में इन्होंने एक नई विधा त्रिवेणी का आविष्कार किया है, जो तीन पंक्तियों की गैर मुकफ्फ़़ा नज़्म होती है. गुलज़ार ने नज़्म के मैदान में जहां भी हाथ डाला, अपने नयेपन से नया गुल खिलाया. कुछ समय से वो बच्चों की नज़्म-ओ-नस की तरफ़ संजीदगी से मुतवज्जा हुए हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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