प्रदीप द्विवेदी. लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों के ऐलान के बाद अब एनडीए में सीटों का बंटवारा भी अंतिमरूप ले रहा है, अब बिहार की तस्वीर भी साफ हो गई है, 40 सीटों पर एनडीए की तरफ से चिराग पासवान की नेतृत्व वाली लोजपा (रामविलास) को गठबंधन के तहत 5 सीटें दी गयी है, लेकिन पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोकजन शक्ति पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गयी है?
आखिर चिराग, पारस पर भारी क्यों पड़े....
1. चिराग ने हर हाल में बीजेपी से वफादारी निभाई, तमाम सियासी अपमान के बावजूद वे बीजेपी में बने रहे.
2. बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी के लिए परेशानी का सबब हैं, चिराग पासवान लगातार उन्हें कमजोर कर रहे हैं, मतलब.... नीतीश कुमार को नियंत्रित करने में चिराग पासवान दमदार भूमिका निभाते रहे हैं.
3. बिहार में चिराग पासवान, दिवंगत रामविलास पासवान की असली सियासी पहचान बने हुए हैं.
4. महागठबंधन आजेडी की ओर से चिराग पासवान और पशुपति पासवान, दोनों के लिए सियासी दरवाजे खुले हैं, लेकिन चिराग पासवान जाते तो एनडीए को बहुत बड़ा नुकसान होता, नुकसान तो पारस भी करेंगे, लेकिन उतना नहीं, जितना चिराग करते.
5. चिराग ने सियासी त्याग किया, लेकिन पारस ने सियासी क्षमता से ज्यादा हासिल किया, हो सकता है, अब चिराग पासवान को कें्रदीय मंत्री बना दिया जाए.
6. बिहार में बीजेपी का मुख्यमंत्री बीजेपी का सपना है, इसे साकार करने में चिराग पासवान बहुत बड़े सहयोगी हो सकते हैं.
देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के इस निर्णय का बिहार की राजनीति में क्या असर होता है?
#Elections2024 पल-पल इंडिया ने कहा था- बिहार में एनडीए में सीटों का बंटवारा उलझेगा?
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