नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बार-बार सप्लीमेंट्री चार्जशीट करने को गलत बताया. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी इसलिए ऐसा कर रही है, ताकि मामले में ट्रायल शुरू न हो पाए और आरोपी को जमानत न मिल सके. कोर्ट ने ईडी से कहा कि इस तरह की प्रैक्टिस गलत है. ऐसा करके किसी आरोपी को अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रख सकते.
कोर्ट ने साथ ही कहा कि इस मामले में शख्स 18 महीने से जेल में है. इससे हमें परेशानी हो रही है. किसी मामले में हम इस मुद्दे को उठाएंगे. जब आप किसी आरोपी को गिरफ्तार करते हैं तो मुकदमा शुरू करना जरूरी होता है. अदालत ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की कैद का जिक्र किया, जिन्हें फरवरी 2023 में शराब नीति मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने यह टिप्पणी झारखंड के अवैध खनन मामले से जुड़े आरोपी प्रेम प्रकाश द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की. प्रकाश पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सहयोगी होने का आरोप है.
कोर्ट ने की यह अहम टिप्पणियां
बार-बार चार्जशीट फाइल नहीं कर सकते- मामले में ईडी की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू पेश हुए थे. जस्टिस खन्ना ने उनसे कहा कि डिफॉल्ट बेल का मकसद है कि जांच पूरी होने तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाए. आप यह नहीं कह सकते कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक मुकदमा शुरू नहीं होगा. ताकि शख्स को बिना ट्रायल के जेल में रहने के लिए मजबूर होना पड़े.
फाइनल चार्जशीट 90 दिन के अंदर दायर हो- जस्टिस खन्ना ने आगे कहा कि जब आप किसी आरोपी को गिरफ्तार करते हैं तो मुकदमा शुरू किया जाना चाहिए. कानून के मुताबिक, अगर जांच पूरी नहीं हुई है तो जेल में बंद आरोपी डिफॉल्ट जमानत पाने का हकदार है. नहीं तो आपको फाइनल चार्जशीट सीआरपीसी या कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर द्वारा निर्धारित समय सीमा के अंदर दायर करनी चाहिए. यह समय सीमा 90 दिन तक होती है.
आरोपी बिना ट्रायल शुरू हुए 18 महीने से सलाखों के अंदर
ईडी ने पिछले महीने अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रेम प्रकाश को गिरफ्तार किया था. प्रकाश को पिछले साल जनवरी में झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने 18 महीने जेल में बिताए हैं और फाइनल चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है. ऐसे में उन्हें जमानत मिलनी चाहिए.
हालांकि ईडी का कहना था कि आरोपी को रिहा किए जाने पर सबूतों या गवाहों से छेड़छाड़ हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ईडी की इस बात से सहमत नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी (प्रकाश) ऐसा कुछ भी करता है तो आप हमारे पास आएं, लेकिन इस वजह से 18 महीने तक सलाखों के पीछे रखना उचित नहीं है.
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