नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के कृषि समुदायों में जल प्रबंधन और शासन सुविधा प्रदान करने में रिलायंस फाउंडेशन ने सहायता की है, अब तक सात जिलों में समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने में और जलवायु प्रतिरोध में सुधार हुआ है.
2011 से शुरू हुई रिलायंस फाउंडेशन के वाटर इन्टरवेंशन कार्यक्रम ने राज्य में जल संचयन क्षमता को लगभग 400 लाख क्यूबिक मीटर (जो जल को संचयित करने की क्षमता को बढ़ाने में पर्याप्त है, ताकि 20,000 हेक्टेयर पर महत्वपूर्ण सिंचाई की जा सके) और 770 गाँवों में पेयजल पहुंचाने की सुविधा में सुधार किया है. हर गांव में, रिलायंस फाउंडेशन ने समुदायों को एक सामान्य संसाधन प्रबंधन योजना विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया और इसमें जल प्रबंधन शामिल करने के लिए कहा. फिर वाटर हार्वेस्टिंग इनटरवेंशन और समुदाय की भूमि विकास योजना बनाई गई. सिवनी जिला इनमे से एक है जहाँ रिलायंस फाउंडेशन का काम एक दशक से अधिक समय तक लगभग 200 गाँवों के लिए बड़ा बदलाव ला चुका है.
सिवनी में परिवर्तन की लहर
हरहरपुर और कटंगी, सिवनी जिले मुख्यालय से लगभग 16 किमी दूर दो जुड़े हुए गाँव हैं. जब से रिलायंस फाउंडेशन इन गाँवों में काम करने लगा है, तब से इन गाँवों में 200 परिवार अपनी कृषि-आधारित आजीविका और पेयजल स्थिति में सुधार ला पा रहे हैं. ये गाँव काफी उतार चढ़ाव वाली जगह पर स्थित हैं, जहां पानी खेतों में रुक नहीं पाता, और कई छोटे किसान परिवार रबी के मौसम में कम पानी की उपलब्धता के कारण एक ही फसल उगाते थे. इन दो गाँवों में, रिलायंस फाउंडेशन ने पिछले तीन वर्षों में समुदाय स्तर और कृषि स्तर पर जल प्रबंधन कार्यों के ज़रिये 1.8 लाख क्यूबिक मीटर पानी संचयन क्षमता को बढ़ाया है, जो 54 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई प्रदान कर सकता है. इनमें तीन नए स्टॉप-डैम का निर्माण और तीन मौजूदा बांधों का पुनर्निर्माण शामिल है, जो इन गाँवों की जीवन रेखा, वैनगंगा नदी के सहायक स्रोतों पर स्थित हैं. नदियों पर बाँध बनाने और मौजूदा बांधों को सुधारने में पिछले तीन वर्षों में जल संकट हल करने में सहायता की. इसके अतिरिक्त, रिलायंस फाउंडेशन ने खेतों पर मेड़बंदी और किसानों द्वारा उनके ग्रामीण मंचों में चुने गए कुओं की खुदाई का समर्थन किया. समुदायों की इन कार्यों की क्रियान्वयन की योजना बनाने में मुख्य भूमिका होती है.
इसके अतिरिक्त, 80 प्रतिशत किसानों ने स्प्रिंकलर्स जैसी कुशल सिंचाई प्रणालियों का उपयोग करना शुरू किया. इन गांवों में पेयजल की कमी भी समुदायों को परेशान कर रही थी. बेहतर पर्याप्त जल आपूर्ति और वितरण के साथ, गांव के सभी घरों को पेयजल सुविधा मिली.
रिलायंस फाउंडेशन ने हमारी ओर से पानी की आपूर्ति और उसके वितरण को पाइपलाइन के माध्यम से मजबूत किया. पहले, हमें हैंड पंप से पानी लाने के लिए लगभग 1.5 किमी दूर जाना पड़ता था. इसमें महिलाओं को काफी थकावट होती थी और उनका काफी समय भी जाता था, हरहरपुर गांव की रहने वाली आशा सूर्यवंशी ने कहा, जो कि एक एसएचजी प्रमुख भी हैं. उन्होंने कहा, जल संवर्धन के क्षेत्र में किये गए स्टॉप-डैम काम ने पानी को रोकने में मदद की और गांव की कृषि स्थिति को सुधारा.
किसान परिवार अब अपनी फसलों के लिए महत्वपूर्ण सिंचाई प्रदान करने में सक्षम हैं, कृषि उत्पादकता बढ़ी है और रबी में दूसरी फसल उगा सकते हैं. 2022-23 के कृषि वसंत मौसम के लिए मूल्यांकन में दिखाया कि गेहूं और धान की यील्ड में औसतन 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की वृद्धि हुई, गेहूं में लगभग 32 क्विंटल से 37 क्विंटल और धान में 37 क्विंटल से 42 क्विंटल. इसका परिणाम है कि अधिक जल सुलभता और गुणवत्ता सुधारने वाले कृषि अभ्यासों के साथ परिवारों ने अपनी आय को बढ़ाना शुरू कर दिया है. इससे कई घरेलू गतिविधियों जैसे मुर्गीपालन और पशुपालन को मजबूती मिली है.
संयुक्त राष्ट्र ने 22 मार्च को विश्व जल दिवस घोषित किया है ताकि विश्वभर में पानी संबंधित मुद्दों पर ध्यान दिया जा सके और इन मुद्दों को हल करने के लिए कार्यशीलता को प्रेरित किया जा सके. इस तारीख के द्वारा एस.डी.जी. 6 सभी के लिए पानी और स्वच्छता का अधिकार के लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिशें की जाती हैं. रिलायंस फाउंडेशन वी-केयर मूल नीति के साथ भारत सरकार की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को समर्थन देने और वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार, शराब नीति मामले में ED की कार्रवाई..!
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