अक्षय तृतीया शुभ दिन के साथ-साथ स्वयं सिद्ध मुहूर्त

अक्षय तृतीया शुभ दिन के साथ-साथ स्वयं सिद्ध मुहूर्त

प्रेषित समय :21:59:57 PM / Thu, May 9th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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अक्षय तृतीया शुभ दिन के साथ-साथ स्वयं सिद्ध मुहूर्त भी  है. अर्थात यह एक ऐसा दिन है जब आप कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे कर सकते हैं. ऐसे में इस दिन गृह प्रवेश, और उद्योग आरंभ करने जैसे मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि प्रारम्भ 10 मई, 2024 को प्रातः 04 बजकर 17 मिनट पर हो रहा है. 
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन मिट्टी से बने मटके या कलश को घर लाना बहुत ही शुभ माना जाता है. माना जाता है कि यदि आप अक्षय तृतीया के दिन जल से या फिर चावल भरा हुआ मटका घर लेकर आते हैं, तो इससे कभी धन-धान्य कमी नहीं होती. इसके साथ ही अक्षय तृतीया के दिन जौ खरीदना भी बहुत लाभकारी माना जाता है.

*वैशाख शुक्ल तृतीया की महिमा मत्स्य, स्कंद, भविष्य, नारद पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथो में है . इस दिन किये गये पुण्यकर्म अक्षय (जिसका  क्षय न हो) व अनंत फलदायी होते हैं, अत: इसे 'अक्षय तृतीया' कहते है . यह सर्व सौभाग्यप्रद है .*
*यह युगादि तिथि यानी सतयुग व त्रेतायुग की प्रारम्भ तिथि है . श्रीविष्णु का नर-नारायण, हयग्रीव और परशुरामजी के रूप में अवतरण व महाभारत युद्ध का अंत इसी तिथि को हुआ था .*
 *इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है . जैसे - विवाह, गृह - प्रवेश या वस्त्र -आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है .*
 *प्रात:स्नान, पूजन, हवन का महत्त्व* 
 *इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है . गंगाजी का सुमिरन एवं जल में आवाहन करके ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते है . स्नान के पश्चात् प्रार्थना करें 
 *माधवे मेषगे भानौं मुरारे मधुसुदन .*
*प्रात: स्नानेन में नाथ फलद: पापहा भव ॥*
 *'हे मुरारे ! हे मधुसुदन ! वैशाख मास में मेष के सूर्य में हे नाथ ! इस प्रात: स्नान से मुझे फल देनेवाले हो जाओ और पापों का नाश करों .'*
 *सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है . पुष्प, धूप-दीप, चंदनम अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी-नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है .
*जप, उपवास व दान का महत्त्व* 
 *इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है . एक बार हल्का  भोजन करके भी उपवास कर सकते है . 'भविष्य पुराण' में आता है कि इस दिन दिया गया दान अक्षय हो जाता है . इस दिन पानी के घड़े, पंखे, (खांड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है . परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए .

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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