कांकेर. हवन करते हाथ जलने वाली कहावत आपने सुनी होगी. आमाबेड़ा से लगे टिमनार गांव के शीतला मंदिर में मधुमक्खियां पिछले 2 दिनों से इस कहावत को चरितार्थ कर रहीं हैं. सबसे पहले बुधवार को विवाह संस्कार से जुड़ी पूजा के लिए आए लोगों पर हमला कर दिया. मधुमक्खियों के डंक से करीब आधा दर्जन लोग घायल हुए थे. दूसरे दिन यानी गुरुवार को भी मधुमक्खियों ने आमाचाड़ त्योहार की रस्म अदायगी करने आए गांव वालों पर अटैक कर दिया. गांव के एक परिवार में विवाह कार्यक्रम चल रहा है. सामाजिक रीति-रिवाजों को निभाने के लिए गांव के कुछ लोग बुधवार को गांव के शीतला मंदिर पहुंचे थे. कार्यक्रम का शुभारंभ करने से पहले गांव की इष्ट देवी शीतला मंदिर में पहुंचकर पूजा-अर्चना करते हैं.
इसी परंपरा का निर्वहन करने के लिए लोग अपने गांव के गायता पुजारी के साथ देवी शीतला माता के मंदिर पहुंचे थे. गायता पुजारी और समाज के प्रमुखजन मंदिर में बैठकर पूजा-अनुष्ठान में जुटे हुए थे. वहीं कुछ गांववाले मंदिर के पास बने रंग-मंच पर बैठे हुए थे. इसी के पास एक बड़ा सा आम का पेड़ है. इसी पर मधुमक्खियों का छाता है. लोग पूजा कर ही रहे थे कि इसी दौरान मधुमक्खियों ने अचानक हमला कर दिया. लोग खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे. इसके बावजूद आधा दर्जन लोग डंक के शिकार हुए. इसी तरह गुरुवार को आमाचाड़ का त्योहार मनाने के लिए गांव के लोग शीतला मंदिर पहुंचे थे. धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुआ ही था कि मधुमक्खियों ने इन पर भी हमला कर दिया.
देवी-देवताओं की नाराजगी है इसकी वजह
बताते हैं कि मंदिर में मधुमक्खियों ने पहली बार छत्ता बनाया है. लगातार 2 दिनों से हो रहे हमलों को लेकर गांव में चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है. बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि देवी-देवताओं की नाराजगी की वजह से ऐसी घटनाएं हो रहीं हैं. पूजा-अर्चना में चूक या लापरवाही की वजह से भी ऐसा होने की बात कही जा रही है. हालांकि, ये लोगों के अपने विचार हैं. बहरहाल स्थिति ये है कि मधुमक्खियों के खौफ के चलते लोग अब शीतला मंदिर जाने से कतरा रहे हैं, कहीं उन पर भी हमला न हो जाए.
पुजारी ने खुद को मंदिर में कैद किया, साहसी युवा आगे आए
बुधवार को विवाह से जुड़े संस्कार के दौरान हुए हमले में परिवार के ज्यादातर सदस्य मंदिर परिसर से बाहर भागे. इसी दौरान कई को डंक भी पड़ा. परिवार के साथ पूजा कराने गए गायता पुजारी इकलौते थे जो मंदिर से बाहर नहीं निकल पाए. ऐसे में उन्होंने खुद को मंदिर के भीतर ही कैद रखा था. गांव के कुछ युवाओं को ये बात पता चली तो वे फोर व्हीलर में मंदिर परिसर के अंदर गए. रैनकोट पहनकर गाड़ी से बाहर निकले और पुजारी को सुरक्षित बाहर निकाला.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-छत्तीसगढ़: पूर्व सीएम भूपेश बघेल को मिली रायबरेली की कमान, कांग्रेस ने बनाया सीनियर ऑब्जर्वर
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