नई दिल्ली. स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) ने फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. एसबीआई ने 46 दिन से 179 दिन तक की एफडी की ब्याज दर को 4.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.50 प्रतिशत किया है. वहीं 180 दिन से 210 दिन तक की एफडी पर पर अब 5.75 प्रतिशत की बजाय 6.00: ब्याज मिलेगा. वहीं 211 दिन से 1 साल से कम समय की एफडी पर अब 6.00 प्रतिशत की जगह 6.25: ब्याज मिलेगा. बाकी अवधि की ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया गया है. ये ब्याज दरें 15 मई से लागू हो गई हैं. ब्याज की यह दरें 2 करोड़ रुपए से कम की एफडी के लिए हैं.
एफडी से मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से टैक्सेबल होता है. आप एक साल में एफडी पर जो भी ब्याज कमाते हैं. वो आपकी एनुअल इनकम में जुड़ता है. कुल आय के आधार पर आपका टैक्स स्लैब निर्धारित किया जाता है. चूंकि एफडी पर अर्जित इंटरेस्ट इनकम को इनकम फ्राम अदर सोर्सेज माना जाता है. इसलिए इसे टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स या टीडीएस के तहत चार्ज किया जाता है. जब आपका बैंक आपकी ब्याज आय को आपके अकाउंट में जमा करता हैए तो उसी समय टीडीएस काट लिया जाता है. यदि आपकी कुल आय एक वर्ष में 2.5 लाख रुपए से कम है तो बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर टीडीएस नहीं काटता है. हालांकि इसके लिए आपको फॉर्म 15जी या 15एच जमा करना पड़ेगा. ऐसे में अगर आप टीडीएस बचाना चाहते हैं तो फॉर्म 15जी या 15एच जरूर जमा करें. यदि सभी एफडी से आपकी इंटरेस्ट इनकम एक वर्ष में 40000 रुपए से कम है तो टीडीएस नहीं काटा जाता है. वहीं अगर आपकी ब्याज आय 40000 रुपए से अधिक है तो 10 प्रतिशत काटा जाएगा. पैन कार्ड नहीं देने बैंक 20 प्रतिशत काट सकता है. 40000 से ज्यादा इंटरेस्ट इनकम पर टीडीएस काटने की यह लिमिट 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए है. वहीं 60 साल से ज्यादा उम्र यानी सीनियर सिटीजन की एफडी से 50 हजार रुपए तक की आय टैक्स फ्री होती है. इससे ज्यादा आय होने पर 10 प्रतिशत टीडीएस काटा जाता है. यदि बैंक ने आपकी एफडी इंटरेस्ट इनकम पर टीडीएस काट लिया है और आपकी कुल आय इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो आप काटे गए टीडीएस को टैक्स फाइल करते समय क्लेम कर सकते हैं. ये आपके अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में एसबीआई को लगाई फटकार, कहा- डेटा में बॉन्ड नंबर क्यों नहीं