पुणे. महाराष्ट्र के पुणे में पोर्श कार से हुए एक्सीडेंट के मामले में कथित तौर पर शामिल 17 वर्षीय लड़के को किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के निर्देश के बाद एक अवलोकन गृह में स्थानांतरित कर दिया गया है. अवलोकन गृह जिसमें 30 से अधिक नाबालिग रहते हैं. किशोर के मामले से संबंधित पुलिस की समीक्षा याचिका पर सुनवाई के लिए भी स्थल के रूप में कार्य किया.
मुम्बई के कल्याणी नगर में किशोर द्वारा पोर्श कार से मोटर साइकल सवार साफ्टवेयर इंजीनियर अनीस अवधिया निवासी उमरिया व अश्वनी कोष्ठा निवासी जबलपुर को टक्कर मारकर कुचल दिया था. हादसे में दोनों की मौत हो गई. घटना आरोपी किशोर रियल स्टेट डेवलपर्स विशाल अग्रवाल का बेटा रहा, जिसे पेश होने के तुरंत बाद जेजेबी द्वारा जमानत दे दी गई थी. पुलिस ने अपने जमानत फैसले की समीक्षा के लिए जेजेबी में याचिका दायर की. त्वरित जमानत पर हंगामे के बाद जेजेबी ने किशोर को 5 जून तक अवलोकन गृह में भेज दिया. सुविधा के अधिकारी ने कहा कानून के साथ संघर्ष में फंसे बच्चे (सीसीएल) को तुरंत यरवदा स्थित नेहरू उद्योग केंद्र अवलोकन गृह में भेज दिया गया. जहां वह अन्य सीसीएल के साथ रह रहा है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि पर्यवेक्षण गृह में रहने के दौरान किशोर का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाएगा. जेजेबी सुनवाई में किशोर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रशांत पाटिल के अनुसार यह तय करने की प्रक्रिया में कि क्या एक किशोर को वयस्क आरोपी के रूप में माना जाना चाहिए. कम से कम दो महीने लग सकते हैं क्योंकि मनोचिकित्सकों और परामर्शदाताओं के अलावा अन्य लोगों की रिपोर्ट मांगी जाती हैए और फिर जेजेबी ने अपना फैसला सुनाया. पाटिल ने कहा कि रिमांड के दौरान सीसीएल को पुनर्वास गृह में रखा जाएगा. इस अवधि के लिए विशिष्ट पैरामीटर निर्धारित किए जाएंगे. उन्होंने कहा बोर्ड ने उसके मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करने और उसे मुख्यधारा में फिर से शामिल करने में मदद करने के लिए सीसीएल को एक मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक या परामर्शदाता उपलब्ध कराने के संबंध में निर्देश दिए हैं. जबकि पुलिस ने कहा कि जेजेबी ने नाबालिग को तीन दिन पहले दी गई जमानत रद्द कर दी. उसके वकील ने दावा किया कि जमानत रद्द नहीं हुई है. कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा उसके साथ वयस्क आरोपी के रूप में व्यवहार करने की अनुमति मांगने वाली पुलिस की अर्जी पर अभी तक कोई आदेश नहीं आया है. पुलिस ने कहा जेजे बोर्ड द्वारा जारी ऑपरेटिव आदेश के अनुसार उसने नाबालिग को 5 जून तक अवलोकन गृह भेज दिया है. पुलिस को उसके साथ वयस्क आरोपी के रूप में व्यवहार करने की अनुमति देने की हमारी याचिका पर आदेश अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है.
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