नई दिल्ली. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को जबरदस्त भाषण दिया. उन्होंने सत्ता पक्ष से न सिर्फ तीखे सवाल पूछे, बल्कि चुनाव के दौरान जिस तरह का ध्रुवीकरण किया गया, उस पर भी सरकार को निशाने पर लिया. इस कार्यवाही के दौरान सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और खरगे के बीच तीखी बहस भी हुई.
इस दौरान सभापति ने खरगे के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आपने कुर्सी का जितना अपमान किया है, उतना किसी ने नहीं किया. धनखड़ ने चेतावनी देते हुए कहा कि आप हर बार कुर्सी को नीचा नहीं दिखा सकते. जगदीप धनखड़ ने कहा कि मेरे में बहुत सहनशक्ति है, खून के घूंट पी सकता हूं, मैंने क्या-क्या किया है, कितना बर्दाश्त किया है और आप फट खड़े होकर कह देते हैं. राज्यसभा के सभापति ने विपक्ष के नेता से कहा कि कितने मौके आए हैं जब आपकी प्रतिष्ठा को कितना बड़ा धक्का लगा है और मैंने आपकी प्रतिष्ठा को बचाने का प्रयास किया है.
दरअसल, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी अपने संबोधन में केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे थे. उन्होंने मणिपुर, काले धन और लद्दाख के मुद्दे पर केंद्र पर हमला बोला और आरोप लगाया कि सरकार ने बीते 10 वर्षों में जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया गया. प्रमोद तिवारी जब ये कह रहे थे तो कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने बीच में कुछ कहना शुरू कर दिया, जिस पर सभापति ने कड़ी आपत्ति ली. इसके बाद प्रमोद तिवारी ने फिर से अपना संबोधन शुरू करते हुए पेट्रोल डीजल के दामों के मुद्दे पर केंद्र पर हमला बोला और कहा कि दुनिया के बाजारों में तेल के दाम घटे और यहां बढ़े, इसमें प्रधानमंत्री के अपने दोस्तों यारों का कुछ हैज्.. इस पर सभापति ने प्रमोद तिवारी को टोका कि बिना तथ्यों के आधार पर ऐसे आरोप मत लगाइए. इस दौरान फिर से जयराम रमेश ने अपनी सीट से खड़े होकर कुछ कहना शुरू कर दिया.
मुझे बनाने वाली सोनिया गांधी
सभापति ने फिर से जयराम रमेश के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए तंज कसा कि जयराम रमेश इतने समझदार हैं कि उन्हें खरगे की जगह बैठना चाहिए. इस पर खरगे ने आपत्ति ली और बराबर में बैठीं सोनिया गांधी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मुझे बनाने (राज्यसभा में विपक्ष का नेता) वाले यहां बैठे हैं श्रीमति सोनिया गांधी. न रमेश मुझे बना सकता है और न आप मुझे बना सकते हैं. खरगे के इस बयान पर सभापति जगदीप धनखड़ नाराज हो गए. उन्होंने कहा आप हर बार कुर्सी को नीचा नहीं दिखा सकते. आप हर बार कुर्सी का अनादर नहीं कर सकते, आप अचानक खड़े हो जाते हैं और बिना यह समझे कि मैं क्या कह रहा हूं, कुछ भी बोल देते हैं. इस देश और संसदीय लोकतंत्र और राज्यसभा की कार्यवाही के इतिहास में कुर्सी के प्रति इतनी अवहेलना कभी नहीं हुई, जितनी आपने की. अब आपको आत्मचिंतन करने का समय आ गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अगर नरेंद्र मोदी फिर पीएम बने तो देश में नहीं होने देंगे चुनाव: मल्लिकार्जुन खरगे
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