नई दिल्ली. पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने बाजार में अपने 14 प्रोडक्ट्स की बिक्री रोक दी है. उत्तराखंड ने अप्रैल में इन प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस सस्पेंड किए थे. पतंजलि ने आज इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दी.
कंपनी ने जस्टिस हिमा कोहली व संदीप मेहता की बेंच को बताया कि लाइसेंस रद्द होने के बाद 5,606 फ्रेंचाइजी स्टोर्स को 14 प्रोडक्ट्स वापस लेने का निर्देश दिया गया है. साथ ही मीडिया प्लेटफार्म्स से भी प्रोडक्ट्स के विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया गया है. बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को दो सप्ताह के भीतर एक एफिडेविट दायर करने का निर्देश दिया है. इसमें कपंनी को बताना है कि क्या सोशल मीडिया को-आर्डिनेटर्स ने इन प्रोडक्ट्स के विज्ञापन हटाने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. क्या उन्होंने विज्ञापन वापस ले लिए हैं. इस मामले की अगली सुनवाई अब 30 जुलाई को होगी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को पतंजलि आयुर्वेद से पूछा था कि जिन 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं. उनके विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. कोर्ट ने पतंजलि को एफिडेविट फाइल करने के लिए 3 हफ्ते का वक्त दिया था. सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही है. जिसमें पतंजलि पर कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी इलाज के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है. वहीं उत्तराखंड स्टेट लाइसेंस अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
कोर्ट ने आईएमए चीफ को फटकार लगाई थी-
सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को सुनवाई में मीडिया में दिए बयान को लेकर आईएमए चीफ की डॉ आरवी अशोकन की माफी स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि आईएमए को अपने डॉक्टरों पर भी विचार करना चाहिए. जो अक्सर मरीजों को महंगी और गैर-जरूरी दवाइयां लिख देते हैं. अगर आप एक उंगली किसी की ओर उठाते हैं तो चार उंगलियां आपकी ओर भी उठती हैं. सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को आईएमए चीफ ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया था. 29 अप्रैल को न्यूज एजेंसी से इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों का मनोबल तोड़ा है. आईएमए चीफ के इस बयान पर पतंजलि के चेयरमैन बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल कर कहा था अशोकन ने कानून की गरिमा कम की. सुप्रीम कोर्ट ने इस बयान को लेकर आईएमए चीफ डॉ आरवी अशोकन को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने 14 मई को कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी ठीक है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-NEET-NET के बाद अब दिल्ली विश्वविद्यालय में भी पेपर लीक
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