अभिमनोज
तमिलनाडु की अजब शादी की गजब कहानी है, जिसमें पति के रहते, पत्नी ने दूसरी शादी कर ली, अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने द्विविवाह को गंभीर अपराध मानते हुए नए पति-पत्नी को छह-छह महीने की साधारण कैद और दो-दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
याद रहे.... पति या पत्नी के जिंदा रहते और बगैर विवाह विच्छेद के दोबारा विवाह करना एक दंडनीय अपराध है, इसके तहत आईपीसी की धारा 494 के तहत सात साल तक की सजा का प्रावधान है.
खबर है कि.... यह अजब शादी की गजब कहानी तमिलनाडु की है, जब एक पत्नी ने पहली शादी के रहते हुए दूसरी शादी कर ली और अब नए पति-पत्नी को आईपीसी की धारा 494 के तहत द्विविवाह के जुर्म में सजा भुगतनी होगी.
दिलचस्प मामला ऐसा है कि- गुजारा भत्ता पा रही पत्नी को अब कारावास भुगतना होगा, इतना ही नहीं, दूसरी शादी करने पर पत्नी का गुजारा भत्ता तो गया ही, जेल की सजा भी हो गई.
अदालत ने द्विविवाह को गंभीर अपराध मानते हुए नए पति-पत्नी को छह-छह महीने की साधारण कैद और दो-दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
खबरों की मानें तो.... सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा केवल अदालत उठने तक की कैद को बहुत कम सजा माना और कहा कि- आइपीसी की धारा 494 के तहत द्विविवाह गंभीर अपराध है, इसमें सात साल तक की सजा का प्रावधान है, इसलिए सजा अपराध की तुलना में और अपराध के कारण समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए दी जानी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि.... सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और संजय कुमार की पीठ ने नए पति-पत्नी की संतान की उम्र केवल 6 साल होने के कारण पति-पत्नी को बारी-बारी से जेल का आदेश दिया है, जिसके अनुसार पहले पति समर्पण करेगा और उसकी सजा पूरी होने के बाद पत्नी सजा भुगतेगी.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पहले पति बाबा नटराजन प्रसाद ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, हाईकोर्ट ने नए पति-पत्नी को द्विविवाह का दोषी तो माना था, लेकिन निचली कोर्ट द्वारा दी गई एक-एक वर्ष के कारावास की सजा को कम करके अदालत उठने तक की कैद में बदल दिया था, अलबत्ता हाईकोर्ट ने जुर्माने की राशि दो-दो हजार से बढ़ाकर बीस-बीस हजार रुपये कर दी थी.
इस मामले में पहले पति की विवाह विच्छेद की अर्जी कोयंबटूर की परिवार अदालत में लंबित थी और उस महिला को पांच हजार रुपये महीने अंतरिम गुजारा भत्ता भी मिल रहा था, लेकिन विवाह विच्छेद से पहले ही उस महिला ने दूसरी शादी कर ली, पहला पति विवाह विच्छेद के बगैर दूसरी शादी करने पर अदालत पहुंचा जहां सास-ससुर और दूसरे पति को भी आरोपित बनाया गया.
खबरों पर भरोसा करें तो.... इस महिला ने 13 जुलाई 2017 तक गुजारा भत्ता लिया, जबकि नए विवाह से नवंबर 2017 में उसे संतान हुई, इसके बाद 22 जनवरी 2019 को पत्नी ने भी पहले पति से तलाक के लिए अर्जी दी, ट्रायल कोर्ट ने नए पति-पत्नी को दोषी मानते हुए सजा सुनाई और सास-ससुर को बरी कर दिया, इसके खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील की गई, जहां सत्र न्यायालय ने अपील स्वीकार करते हुए नए पति-पत्नी को बरी कर दिया, पहला पति आदेश के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट पहुंचा, जहां नए पति-पत्नी को द्विविवाह का दोषी माना और दोनों को अदालत उठने तक की कैद की सजा सुनाई, हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ पहला पति सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां नए पति-पत्नी को छह-छह महीने की साधारण कैद और दो-दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है!
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