क्यों है राहु कलियुग का राजा..?

क्यों है राहु कलियुग का राजा..?

प्रेषित समय :20:43:38 PM / Tue, Jul 16th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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1. राहु एक छाया ग्रह है:
वैदिक ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह माना जाता है। जबकि, पश्चिमी ज्योतिष (Western Astrology) में इसे (North Node) उत्तरी नोड के रूप में जाना जाता है।इसे कलात्मक रूप में बिना धड़ वाले नाग के रूप में दिखाया जाता है, जो रथ पर आरूढ़ है और रथ आठ श्याम वर्णी कुत्तों द्वारा खींचा जा रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक स्थान दिया गया है। दिन में राहुकाल नामक मुहूर्त (24 मिनट) की अवधि होती है जो अशुभ मानी जाती है। इसके अतिरिक्त, राहु की छायादार प्रकृति इस युग के दौरान छिपे हुए अंधकार और नकारात्मकता को दर्शाती है।
2. कलियुग के लक्षण:
पौराणिक संदर्भों से धोखेबाजों, सुखार्थियों, विदेशी भूमि में संपदा विक्रेताओं, ड्रग विक्रेताओं, विष व्यापारियों, निष्ठाहीन और अनैतिक कार्यों, नशीले पेय पदार्थों, रेड लाइट एरिया, गंदी राजनीति, खोखले मान-सम्मान के लालची व्यक्तियों आदि का प्रतिनिधि राहु है। यह अधार्मिक व्यक्ति, निर्वासित, कठोर भाषण कर्त्ताओं, झूठी बातें करने वाले, सफाई कर्मचारी, ठग, मांस व्यापारी, अंग व्यवसाय, मलिन लोग आदि का द्योतक भी रहा है। इसके द्वारा पेट में अल्सर, हड्डियों और स्थानांतरगमन की समस्याएं आती हैं। राहु व्यक्ति के शक्तिवर्धन में शत्रुओं को मित्र बनाने की क्षमता रखते हैं। बौद्ध दर्शन (धर्म) में राहु को एक क्रोध देवता के रूप में माना गया है।
राहु को भ्रम, भौतिकवाद (materialistic world), जुनून और धोखे जैसे नकारात्मक गुणों से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि ये गुण कलियुग में और भी बढ़ जाते हैं, जो पतन का युग है। राहु की उपस्थिति को इन नकारात्मक प्रवृत्तियों के पीछे एक प्रेरक शक्ति के रूप में देखा जाता है।
3. नैतिक और नैतिक मूल्यों में गिरावट:
राहु को अराजकता और कानून-व्यवस्था में व्यवधान पैदा करने के लिए जाना जाता है। जबकि कलियुग में अपराध, दंगे, सांप्रदायिक हिंसा और अव्यवस्था बढ़ती है। ऐसा नहीं है कि लोगों में समझ नहीं है; समझ है किन्तु बड़े अनैतिक और प्रभावशाली लोगों के कृपापात्र बनने और अपना स्वार्थ सिद्ध करने (धन, पैसा, पावर आदि का लालच) कुछ लोग अपने आत्मा को मारकर घो जातिवाद, हिंसा, बलात्कार, दंगे, नशीले पदार्थों का व्यापार आदि कर रहे हैं। समाज को ग़लत दिशा दे रहे हैं। ये उन लोगों के आत्मा (सूर्य) और मन (चंद्रमा) पर राहु का प्रभाव ही तो है जो कलियुग की महत्वाकांक्षाओं को बल दे रहा है।
4. राहु का लोगों पर प्रभाव:
राहु लोगों में लालच, इच्छा, बेईमानी, डर, चिंता और जुनून को बढ़ावा देता है। जिसे आप आज देख सकते हैं। क्योंकि वर्तमान में लोगों के लालच और इच्छा के कारण अपराध बढ़ रहे हैं। साथ ही, आज ज़्यादातर लोग तनाव और चिंता से पीड़ित हैं।
राहु को एक सर्प के शरीर के रूप में दर्शाया गया है, जिसका सिर तो है, लेकिन शरीर नहीं है। इस कभी न खत्म होने वाली भूख को कलियुग पर हावी होने वाली भौतिकवादी इच्छाओं का दर्पण माना जाता है। आज लोग अधिक चाहते हैं, और अधिक पाने की यह चाह उन्हें असंतोष की ओर ले जाती है।
 

 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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