जेडीयू के बाद चिराग पासवान ने भी कांवड़ रूट के नामों का किया विरोध, कहा- धर्म के नाम पर विभाजन ठीक नहीं

जेडीयू के बाद चिराग पासवान ने भी कांवड़ रूट के नामों का किया विरोध, कहा- धर्म के नाम पर विभाजन ठीक नहीं

प्रेषित समय :19:05:27 PM / Fri, Jul 19th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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नई दिल्ली, पटना. उत्तर प्रदेश के कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों के नामों को लिखे जाने संबंधी फैसले का अब भाजपा के सहयोगी दलों ने भी विरोध किया है. भाजपा की एक प्रमुख सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के बाद अब केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने भी इसका विरोध किया है. कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम लिखने के आदेश पर चिराग पासवान ने आपत्ति जताई है.

समाचार के मुताबिक वह पुलिस की सलाह या ऐसी किसी भी चीज का समर्थन नहीं करते हैं जो, जाति या धर्म के नाम पर विभाजन पैदा करती हो. चिराग पासवान बोले- नहीं, मैं इसका समर्थन नहीं करता यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस सलाह का समर्थन करते हैं? लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष ने कहा, नहीं, मैं इसका समर्थन नहीं करता. मेरा मानना है कि समाज में दो वर्ग हैं, अमीर और गरीब और अलग-अलग जाति और धर्म के लोग दोनों ही श्रेणियों में आते हैं.

चिराग पासवान ने कहा, हमें इन दो वर्गों के लोगों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है. गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जाति और मुसलमान भी शामिल हैं. हमें उनके लिए काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, जब भी जाति या धर्म के नाम पर इस तरह का विभाजन होता है, तो मैं इसका समर्थन या प्रोत्साहन बिल्कुल नहीं करता. मुझे नहीं लगता कि मेरी उम्र का कोई भी शिक्षित युवा, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से आता हो, ऐसी चीजों से प्रभावित होता है.

जेडीयू ने भी जताया विरोध, सरकार से समीक्षा करने का किया अनुरोध

भाजपा की एक प्रमुख सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार से मुजफ्फरनगर आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध कर चुकी है. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार में इससे भी बड़ी कांवड़ यात्रा (यूपी से) होती है. वहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं है. जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के नारे का उल्लंघन हैं. यह आदेश न तो बिहार में लागू है और न ही राजस्थान और झारखंड में. अच्छा होगा कि इसकी समीक्षा की जाए. इस आदेश को वापस लिया जाना चाहिए.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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