गुंजन बिष्ट
गरुड़, उत्तराखंड
केवल एक दिन की बात नहीं,
हम सदियों से सताये गये हैं,
लड़का और लड़की के नाम पर,
भेदभाव के फंदे में बांधे गये हैं,
और ज़िंदगी भर रुलाये गए हैं,
मेरे इस दामन को ज़रा ग़ौर से देखो,
इसमें भी भेदभाव के दाग लगाए गए,
जब भी सर उठाने की कोशिश की,
हम हिंसा का शिकार बने हैं,
हमे पाप पुण्य के कुएं में धकेला गया,
स्वर्ग और नर्क का पाठ पढ़ाया गया,
वो कहते हैं गंगा नहाने से पाप धुल जाते हैं,
फिर छुआछूत का दाग क्यों नहीं धुलता?
क्या किया है हमने ऐसा पाप?
क्यों किया हमारे सपनों का नाश?
क्या हमारे छूने से हो जायेगा अचार ख़राब?
क्या रसोई में जाने से दूषित हो जाएगा समान?
क्या लड़का और लड़की एक समान नहीं?
ये हिंसा केवल एक दिन की बात नहीं।।
चरखा फीचर
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कोर्ट से के. कविता को बड़ा झटका, सीबीआई को मिली 3 दिन की रिमांड, दिल्ली शराब घोटाले में करेगी पूछताछ
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