अभिमनोज
आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि.... ट्रेन के डिब्बे से बाहर खड़े लोग अंदर जाने के लिए संघर्ष करते हैं, लेकिन.... जो अंदर जाते हैं, वह दूसरों को अंदर आने से रोकना चाहते हैं, जिन लोगों को सरकारी नौकरी मिल गई है और जो अभी भी गांव में मजदूरी कर रहे हैं, उनकी स्थिति अलग-अलग है!
खबर है कि.... सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को लेकर गुरुवार, 1 अगस्त 2024 को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, सात जजों की संवैधानिक पीठ ने 6/1 के बहुमत से कहा कि एससी-एसटी कैटेगरी के अंदर ही ज्यादा पिछड़ों के लिए अलग कोटा दिया जा सकता है.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ का कहना है कि- एससी-एसटी आरक्षण के तहत जातियों को अलग से हिस्सा दिया जा सकता है.
खबरों की मानें तो.... पंजाब में वाल्मीकि और मजहबी सिख जातियों को अनुसूचित जाति आरक्षण का आधा हिस्सा देने के कानून को साल 2010 में हाईकोर्ट ने निरस्त किया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, लेकिन.... अदालत ने कहा कि- जिस जाति को आरक्षण में अलग से कोटा दिया जा रहा है, उसके पिछड़ेपन का सबूत होना चाहिए, जैसे.... शिक्षा और नौकरी में उसके कम प्रतिनिधित्व को आधार बनाया जा सकता है, परन्तु केवल किसी जाति की संख्या ज्यादा होना इसका आधार नहीं हो सकता है.
अदालत का मानना है कि.... अनुसूचित जाति वर्ग एक समान नहीं है, कुछ जातियां ज्यादा पिछड़ी हुई हैं, उन्हें अवसर देना सही है.
अदालत ने कहा कि- हमने इंदिरा साहनी फैसले में ओबीसी के सब क्लासिफिकेशन की स्वीकृति दी, वैसी ही व्यवस्था अनुसूचित जाति के लिए भी लागू हो सकती है.
खबरों पर भरोसा करें तो.... अदालत का कहना है कि- कुछ अनुसूचित जातियों ने सदियों से दूसरी अनुसूचित जातियों की तुलना में ज्यादा भेदभाव सहा है, बावजूद इसके कोई राज्य अगर आरक्षण का वर्गीकरण करना चाहता है तो उसे पहले आंकड़े जुटाने होंगे.
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