*वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार फॉल्स सीलिंग के डिजाइन और उसके बनाने के मैटेरियल आदि में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
चूंकि इस विषय में मूल ग्रंथों में कोई निर्देश नहीं हैं अतः मैं यहां अपने बुद्धि विवेक से कुछ सामान्य बातें लिख रहा हूं:
1. *छत की ऊंचाई*: फॉल्स सीलिंग की ऊंचाई कम से कम 10 फीट होनी चाहिए ताकि सही तरीके से हवा का प्रवाह हो सके और कमरे में खुलापन महसूस हो. फॉल्स सीलिंग से कमरा बहुत नीचा नहीं लगना चाहिए, क्योंकि इससे बंद बंद महसूस हो सकता है और तनाव भी हो सकता है.
2. *सामग्री*: फॉल्स सीलिंग के लिए सामान्य सामग्री जैसे जिप्सम या पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) का सुझाव दिया जाता है. धातु के पैनलों का अत्यधिक उपयोग करने से बचें, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह में बाधा डाल सकते हैं.विशेष कर ब्रम्हांड से आने वाली कॉस्मिक एनर्जी के प्रवाह में.
3. *आकार और डिज़ाइन*:
फॉल्स सीलिंग का आकार आदर्श रूप से नियमित और ज्यामिति के अनुसार होना चाहिए, जैसे कि वर्गाकार या आयताकार, जो स्थिरता और संतुलन को बढ़ावा देता है.
- *तेज किनारों से बचें*: छत के डिज़ाइन में तेज कोण या अनियमित आकार से बचना चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा पैदा हो सकती है.
- *केंद्रीय क्षेत्र(ब्रम्हस्थान)*: छत के केंद्रीय भाग में भारी फिक्स्चर या डिज़ाइन नहीं होने चाहिए. केंद्र में सरल और हल्का डिज़ाइन रखना उचित माना जाता है. मेरे विचार से मुगल कालीन भारी भरकम फानूस भी नहीं लगाने चाहिए.
4. *रंग*: सफेद, ऑफ-व्हाइट या हल्के पेस्टल रंग छत के लिए शुभ माने जाते हैं. ये रंग प्रकाश को प्रतिबिंबित करते हैं और खुलेपन और शांति का अनुभव कराते हैं. गहरे या बहुत उज्ज्वल रंगों से बचें, क्योंकि वे भारी या दमनकारी वातावरण पैदा कर सकते हैं.
5. *लाइटिंग और उसका समरूप वितरण*:
सुनिश्चित करें कि फॉल्स सीलिंग में लाइटिंग का वितरण समान हो. सिर्फ कोनों में लाइट लगाने से बचें, क्योंकि इससे ऊर्जा प्रवाह में असंतुलन हो सकता है.
- *उज्ज्वल और नरम प्रकाश*: उज्ज्वल लेकिन नरम प्रकाश का उपयोग करें जो एक गर्म और स्वागतपूर्ण माहौल बनाता है.
6. *सीलिंग बीम्स का उपचार*: छत में बीम अनुशंसित नहीं है, क्योंकि वास्तु के अनुसार ये तनाव और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं. एलसिविल इंजीनियरिंग में सिंपली सुपोर्टेड बीम अपने ऊपर भवन के उपरी भाग का वजन झेलती है जब की गुरुत्वाकर्षण की ऊर्जा उसे पृथ्वी की ओर खींचती है..जब कोई उसके नीचे बैठता या सोता है तो यह अदृश्य ऊर्जा उस व्यक्ति में तनाव पैदा करती है. इस से बचने के लिए बीम में उचित क्रिस्टल पुरामिड चिपकाकर फाल्स सीलिंग से कवर कर देना चाहिए.
7. *वास्तु दिशा का ध्यान*:
7.1- *दक्षिण-पश्चिम कोना**: यदि आप दक्षिण-पश्चिम कोने में फॉल्स सीलिंग लगा रहे हैं, तो डिज़ाइन को साधारण रखें किंतु इस और भारी स्ट्रक्चर हो सकता है, क्योंकि पृथ्वी तत्व की यह दिशा स्थिरता से जुड़ी होती है.
7.2- *उत्तर-पूर्व कोना*: उत्तर-पूर्व कोना शुभ माना जाता है, इसलिए इस क्षेत्र को डिज़ाइन और रंग दोनों में हल्का रखना अनुशंसित है.
इन सिद्धांतों को अपनाकर फॉल्स सीलिंग लगवाने से वास्तु शास्त्र के अनुसार आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा मिल सकता है.
वास्तु शास्त्र में घर का मुख्य द्वार बहुत महत्वपूर्ण होता
वास्तु शास्त्र के ऐसे 5 चमत्कारिक उपाय कि जीवन में मिलेगा अपार धन- सुख-शांति
घर के वास्तु दोषों को दूर करने के लिए आजमाये हुए प्रयोग
ये हैं वास्तु की 8 दिशाओं में किए जा सकने वाले निर्माण और शुभ गतिविधियां
विभिन्न दिशाओं में मुंह कर के खाना बनाने के वास्तु के अनुसार क्या परिणाम होते