*जन्मकुंडली के प्रथम भाव से जातक स्वयं*
*प्रथम भाव से नाना*
*द्वितीया भाव से ताई*
*तीसरे भाव से छोटे भाई-बहन*
*चौथे भाव से माता*
*पांचवे भाव से पुत्र*
*छठे भाव से मामा*
*सातवें भाव से पति/पत्नी*
*अष्टम भाव से ताऊ का*
*नवम भाव से पिता*
*दसवें भाव से पिता*
*ग्यारहवें भाव से पुत्रवधू*
*बारहवें भाव से चाचा भुवा*
*ग्यारहवें भाव से बड़े भाई-बहनों का विचार किया जाता है.*
कुछ ज्योतिषी नवें भाव से पिता का विचार करते हैं. जैसे स्त्री/पुरुष की कुंडली में सातवें भाव से पति/पत्नी का विचार किया जाता है, वैसे ही मातृ भाव यानि माता चौथे भाव से सातवां भाव यानि कुंडली के दशम भाव से ही पिता का विचार करते है.
*तीसरे भाव से सातवें भाव यानि कुंडली के नौवें घर से छोटे भाई की पत्नी और छोटी बहन के पति का विचार किया जाता है.*
*पांचवें भाव से सातवां भाव यानि ग्यारहवें भाव से पुत्र वधू का विचार किया जाता है.
मातृ भाव से तीसरे यानि छठे भाव मामा तथा मौसी का विचार करते है.*
*मातृ भाव से चौथा भाव यानि की कुंडली के सातवें भाव से स्त्री के अलावा, माता की माता यानि नानी का विचार किया जाता है.*
*माता के पिता यानि नाना के विचार के लिए मातृ भाव से दशम भाव यानि की कुंडली के प्रथम भाव से विचार किया जाता है.*
*पिता के छोटे भाई-बहन यानि की चाचा एवं बुआ का विचार पितृ भाव, अर्थात दशम भाव से तीसरे भाव यानि की जन्मकुंडली के बारहवें भाव से करते है.*
*पिता के पिता यानि दादा का विचार दशम भाव से दसवां भाव यानि की कुंडली के सातवें घर से किया जाता है.*
*पिता की माता यानि दादी के लिए पितृ भाव से चतुर्थ भाव यानि जन्मकुंडली के प्रथम भाव से विचार करते है.*
*पिता के बड़े भाई यानि ताऊ के विचार के लिए पितृ भाव से ग्यारहवां घर यानि की कुंडली के अष्टम भाव से विचार करते है.*
ताई के विचार के लिए अष्टम भाव से सप्तम भाव यानि कुंडली के द्वितीय भाव से विचार करते है.
चाचा और बुआ का विचार बारहवें भाव से करते हैं. इसलिए चाची और फूफा का विचार कुंडली के छठे भाव से करें.
छठे भाव से मामा और मौसी का विचार करते हैं. इसलिए छठे भाव से सातवें भाव अर्थात कुंडली के बारहवें भाव से मामी और मौसा का विचार करते है.
स्त्री की माता अर्थात सास के लिए स्त्री के भाव से चौथा भाव अर्थात दसवें भाव से विचार करते है.
स्त्री के पिता अर्थात ससुर के लिए स्त्री भाव से दसवें भाव अर्थात कुंडली के चौथे भाव से विचार करते है.
पत्नी के छोटे भाई-बहनों, अर्थात छोटे साले और सालियों के लिए सप्तम भाव से तीसरा भाव अर्थात कुंडली के नौवें भाव से विचार करते है.
बड़े साले और सालियों के लिए सप्तम भाव से ग्यारहवां घर कुंडली के पांचवें भाव को देखना चाहिए.
बड़े भाई और बड़ी बहनों का विचार एकादश भाव से करते हैं. वहां से सातवें भाव यानि की कुंडली के पाचवें भाव से पुत्र के अलावा बड़ी भाभी और बड़े जीजा का विचार कर सकते हैं.
*अगर किसी स्त्री की कुंडली देख रहे हैं तो पंचम भाव से जेठ और एकादश भाव से जेठानी का विचार करें. नवम भाव से देवर एवं तृतीय भाव से देवरानी का विचार करते है.
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