स्व ऋण दोष : यदि जन्म कुंडली के पंचम भाव में पापी ग्रह हों और किसी शुभ ग्रह की दृष्टि यहां ना हो तो स्व ऋण दोष बनता है. ऐसे जातक पर अनेक बार बिना वजह आरोप लगते हैं, बिना वजह ही अपमान का सामना करना पड़ता है और बिना वजह दंड भी मिलता है. ऐसे जातक को उपाय के तौर पर परिवार और करीबी रिश्तेदार से धन इकट्ठा करके गायत्री मंत्र जप और हवन करवाना चाहिए.
मातृ ऋण दोष : यदि जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में चंद्रमा के शत्रु ग्रह बुध या केतु हो तो जातक पर मातृ ऋण बनता है. ऐसे जातक को उसके कामकाज में अनेक तरह की बाधा आती है, सफलता के लिए काफी संघर्ष होता है और उसके बाद भी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है. ऐसे जातक को उपाय के तौर पर परिवार के सभी सदस्यों से धन इकट्ठा करके कुछ चांदी खरीद कर उसको चलते पानी में जल परवाह कर देना चाहिए.
बहन ऋण : यदि जन्म कुंडली के तीसरे या छठे भाव में चंद्रमा हो तो बहन ऋण बनता है. ऐसे जातक के भाई बहन, संबंधी उसका साथ नहीं देते, कामकाज में संघर्ष और आर्थिक स्थिति कमजोर होती है. ऐसे जातक को उपाय के तौर पर परिवार के सभी सदस्यों से धन इकट्ठा करके कोड़ियाँ खरीद कर उनको हल्दी से रंग कर जला देना चाहिए और फिर राख को जल परवाह कर देना चाहिए.
संबंधी का ऋण : यदि जन्म कुंडली के पहले या अष्टम भाव में बुध या केतु हो तो जातक सगे संबंधी के ऋण से पीड़ित होता है. ऐसे जातक के भाई बहन, सगे संबंधी उसका साथ नहीं देते, कामकाज में संघर्ष और आर्थिक स्थिति कमजोर होती है. ऐसे जातक को उपाय के तौर पर परिवार के सभी सदस्यों से धन इकट्ठा करके उस धन का दान किसी शुभ कार्य हेतु करना चाहिए.
पितृ ऋण : यदि जन्म कुंडली के 2, 5, 9, 12वे भाव में बुध, शुक्र या राहु हो और गुरु इन स्थान से बाहर किसी अन्य जगह हो तो जातक पितृ ऋण से पीड़ित होता है. ऐसे जातक को पढ़ाई, कामकाज, विवाह और संतान सुख में बाधा आती है. उपाय के तौर पर ऐसे जातक को परिवार के सभी सदस्यों से धन इकट्ठा करके उसका दान किसी शुभ कार्य के लिए देना चाहिए.
अज्ञात ऋण : यदि जन्म कुंडली के बाहरवें भाव में सूर्य मंगल शुक्र तीनो ग्रह हो तो जातक इस ऋण से पीड़ित होता है. ऐसे जातक को स्वास्थ्य संबंधी अनेक तरह की बाधा आती है, बिना वजह अपमान और दण्ड मिलता है. उपाय के तौर पर जातक के परिवार के सभी सदस्यों को एक एक नारियल जल परवाह करना चाहिए.
स्त्री ऋण : यदि जन्म कुंडली के दसम भाव में सूर्य चंद्र मंगल तीनो ग्रह हो तो जातक इस ऋण से पीड़ित होता है. ऐसे जातक को नौकरी कारोबार में कई तरह की बाधा आती है, कारोबार या आर्थिक लेन देन में पैसा अटकता है. उपाय के तौर पर जातक को परिवार के सभी सदस्यों से धन इकट्ठा करके मजदूरों को भोजन करवाना चाहिए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कुंडली के अनुसार साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में बिना किसी कारण कलंक और बदनामी
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