इंदौर. महापौर पुष्यमित्र भार्गव के नेतृत्व में चल रही वायु गुणवत्ता सुधार की मुहिम के साथ अब ट्रैफिक पुलिस के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सड़कों पर ट्रैफिक की वजह से वायु प्रदूषण से जुड़े खतरों को देखते हुए ट्रैफिक नियंत्रण विभाग और क्लीन एयर कैटलिस्ट (सीएसी) ने ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को “'स्वास्थ्य और वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव” विषय पर आयोजित वर्कशॉप में एक दिन का प्रशिक्षण दिया.
क्लीन एयर कैटलिस्ट के एक अध्ययन के मुताबिक इंदौर में 70 फीसदी वायू प्रदूषण सड़कों पर चलने वाले वाहनों के कारण होता है. यातायात पुलिस को प्रशिक्षण देते हुए वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सलिल भार्गव ने कहा, “वायु प्रदूषकों के संपर्क में रहने से सांस और हृदय संबंधी बीमारियों सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियां हमारी 100 साल की जिंदगी को घटा कर 70-80 साल तक ला रही हैं. वायु प्रदूषण के बीच सड़क पर लंबा समय बिताने की वजह से यातायात पुलिस के लिए जोखिम ज्यादा है.हमें जागरूक हो कर इन खतरों से बचना हैं. प्रदूषण के खतरों से बचने के लिए मास्क लगाना, प्राणायाम और व्यायाम, शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखना, पौष्टिक आहार और स्वास्थ्य की नियमित जांच बेहद जरूरी है.” इंदौर नगर निगम के अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा ने कहा, “यह प्रशिक्षण यातायात पुलिस की सेहत के बचाव के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा.”
29 अगस्त को क्लीन एयर कैटलिस्ट ने प्रशिक्षण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को वायु प्रदूषण के कारणों, स्रोतों, जोखिमों और बचने के उपायों को लेकर प्रशिक्षित किया. इस ट्रेनिंग के लिए इंदौर के शहरी क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं का चयन उन दस वार्डों से किया गया, जिन्हें क्लीन एयर कैटलिस्ट ने प्राथमिकता के साथ लो एमिशन जोन्स रुप में वायु गुणवत्ता सुधार के लिए चुना है.
ट्रैफिक टीआई, पश्चिम क्षेत्र, अर्जुन पवार ने कहा, “यह प्रशिक्षण आम लोगों के ही साथ यातायात पुलिस की खुद की सुरक्षा में मददगार होगा.” असिस्टेंट प्रोग्राम मैनेजर, अर्बन हेल्थ, विनय पांडे ने कहा कि पब्लिक हेल्थ के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आशा कार्यकर्ता अब शहर में वायु प्रदूषण रोकने में मदद करेंगी.
क्लीन एयर कैटलिस्ट के प्रोजेक्ट मैनेजर कौशिक हजारिका ने वायु गुणवत्ता सुधार के लिए इंदौर नगर निगम के साथ किए जा रहे प्रयासों का ब्यौरा दिया. वाइटल स्ट्रेटेजीज़ के प्रोग्राम मैनेजर सौरभ पोरवाल ने स्वास्थ्य पर वायु गुणवत्ता के दुष्प्रभावों और उनसे बचने के तरीकों के बारे में व्यावहारिक जानकारी दी. मेघा नामदेव ने ट्रांसपोर्ट सॉल्युशंस के बारे में विस्तार से बताया जिनके लागु होने से इंदौर शहर स्वच्छ वायु, स्वच्छ और स्वस्थ इंदौर के लक्ष्य को हासिल कर सकता है.साइंटिस्ट डॉ. निवेदिता बर्मन ने एयर क्वालिटी बेसिक साइंस को बुनियादी उदाहरणों के साथ समझाया.
ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान ट्रैफिक पुलिसकर्मियों और आशा कार्यकर्ताओं को सांप-सीढ़ी के खेल के जरिये वायु प्रदूषण के खतरों और स्वच्छ वायु के लिए समाधानों के बारे में बारे में बताया गया. वर्कशॉप के प्रतिभागियों ने यह भी जाना कि वे किस तरह नागरिकों को वायु प्रदूषण से मुकाबला करने और स्वच्छ हवा के लिए बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी देंगे.
स्वस्थ रहने के लिए शुद्ध हवा में सांस लेना जरूरी है, लेकिन ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज़ इस स्टडी के मुताबिक वायु प्रदूषण वजह से वर्ष 2019 में भारत में 16 लाख और मध्य प्रदेश में करीब 1.12 लाख लोगों की मौत हुई. इंदौर में वायु प्रदूषण के कारण हर साल करीब 2,400 मौतें होती हैं और बच्चों में अस्थमा के करीब 620 नए मामले सामने आते हैं. पूरी दुनिया की बात करें तो वायु प्रदूषण के कारण हर साल 81 लाख लोग जान गंवा देते हैं और इनमें हर चौथा शख्स भारतीय होता है.
शहर में वाहनों के वायु प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए हाल ही में नगर निगम, यूएसएआईडी और क्लीन एयर कैटलिस्ट ने स्वच्छ वायु संघ (इंदौर क्लीन एयर कोअलिशन) लॉन्च किया है. स्वच्छ वायु संघ का मकसद शहर में वायू प्रदूषण के स्रोतों और लोगों की सेहत पर पड़ने वाले बुरे असर के बारे में आम लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाना है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभाग और संस्थाएं मिल कर काम करेंगी और वायु प्रदूषण से प्रभावित कमजोर तबके के लोगों की आवाज बुलंद करेंगी.
क्लीन एयर कैटलिस्ट, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के सहयोग से चल रहा कार्यक्रम है, जो वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआरआई) और एन्वायर्नमेंटल डिफेंस फंड (ईडीएफ) के नेतृत्व में विभिन्न संस्थाओं की वैश्विक साझेदारी है. वर्ष 2020 में शुरू किया गया यह प्रोग्राम वायु प्रदूषण को रोकने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और लोगों की सेहत में सुधार करने वाले स्थानीय स्तर के उपायों के लिए क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-वायनाड त्रासदी: जलवायु परिवर्तन की नज़र से
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