भले ही फेसबुक या इंस्टाग्राम पर आपके हजारों फ्रेंड हों लेकिन असल जिंदगी में लोग अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं. इस अकेलेपन के कारण वैसी बीमारियों हो रही हैं जो शराब पीने, स्मोकिंग और मोटापे के कारण होती हैं. अकेलापन कई मामलों में शराब या स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक है.यह दावा एक रिसर्च में किया गया है. अस्पताल में जो मरीज इलाज के लिए आते हैं उनमें से कुछ मरीजों को इस रिसर्च में शामिल किया गया था. रिसर्च को इंडियन जर्नल ऑफ साइकोलॉजिकल मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है.
डॉक्टरों का कहना है कि अकेलापन तेजी से एक स्वास्थ्य संकट के रूप में उभर रहा है. यह अब शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं. अकेलेपन की ज्यादा समस्या बुजुर्गों में देखी जा रही है विशेष तौर पर महिलाओं में ये परेशानी ज्यादा है. मिडल क्लॉस वाले लोगों में अकेलेपन का स्तर काफी अधिक है.
मनोरोग विशेषज्ञ कहते हैं कि अकेलेपन की वजह से शरीर में कई बीमारियों हो सकती हैं. इससे हार्ट डिजीज, डिप्रेशन, मानसिक तनाव जैसी समस्या का खतरा ज्यादा रहता है. जैसी बीमारियां शराब पीने, स्मोकिंग या फिर मोटापे से होती है वैसी ही डिजीज अकेलेपन के कारण हो रही हैं. अकेलेपन को लोग केवल इमोशन से जोड़कर देखते हैं, लेकिन शरीर पर भी इसका गंभीर असर पड़ता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अकेलापन शरीर में स्ट्रेस को ट्रिगर करता है, जिससे कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है. यह एक स्ट्रेस हार्मोन है जिससे बढ़ने से शरीर में कई तरह की परेशानियां होती हैं. अकेलेपन के कारण कोर्टिसोल का बढ़ा लेवल कई बीमारियों का कारण बनता है. ये ऐसी बीमारियां हैं जिनका प्रभाव शरीर पर शराब पीने या स्मोकिंग की तुलना में ज्यादा हो सकता है.
हेल्थ होती है खराब
अकेलापन एक बड़ी समस्या बन रहा है. ये काफी हद तक मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है. एक बार मानसिक सेहत खराब होती है तो फिर इसका असर शरीर पर पड़ता ही है. अकेला स्ट्रेस कई बीमारियों का कारण बनता है. इससे पहले हई द लैेंसेट क रिसर्च में भी पता चला है की अकेलापन मानसिक सेहत को खराब करता है और मानसिक सेहत बिगड़ने से ब्लड शुगर बढ़ना, मोटापा और हाई बीपी जैसी समस्या हो जाती है. अकेलेपन की समस्या बीते कुछ सालों से ज्यादा बढ़ रही है. बुजुर्ग ही नहीं ये परेशानी युवाओं में भी देखी जा रही है.
इम्यून सिस्टम होता है खराब
अकेलापन इम्यूनिटी को कमजोर कर सकता है, जिससे शरीर संक्रमण और बीमारियों की चपेट में आ जाता है. इससे मरीज के बीमारी से ठीक होने की प्रक्रिया भी धीमी हो सकती है, जिससे चोटों या सर्जरी से उबरने में समय लग सकता है. अकेलेपन के कारण नींद में खलल आती है. नींद की कमी भी कई बीमारियों का कारण बनती है. इससे हार्ट डिजीज, बीपी और हाई शुगर का रिस्क बढ़ता है. कई मामलों में अकेलेपन लंबे समय तक व्यक्ति को एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार भी बना देता है. डिप्रेशन खुद में एक खतरनाक समस्या है.