पंचांग के मुताबिक, 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ होगा और 11 सितंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा. ऐसे में राधा अष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी.
शुभ मुहूर्त
राधा अष्टमी 11 सितंबर को मनाया जा रहा और शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक रहने वाला है. इस मुहूर्त में पूजा करना काफी शुभ माना जा रहा है.
राधा अष्टमी महत्व
जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का विशेष महत्व है. कहते हैं कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है. इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो लोग राधा जी को प्रसन्न कर देते हैं उनसे भगवान श्रीकृष्ण अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं. कहा जाता है कि व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी आती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
*राधा अष्टमी व्रत की पूजा विधि*
-प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं.
-इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें.
-कलश पर तांबे का पात्र रखें.
- अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधाजी की सोने (संभव हो तो) की मूर्ति स्थापित करें.
-तत्पश्चात राधाजी का षोडशोपचार से पूजन करें.
- ध्यान रहे कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का होना चाहिए.
-पूजन पश्चात पूरा उपवास करें अथवा एक समय भोजन करें.
- दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें.
अन्य व्रतों की भांति इस दिन भी प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर श्री राधा जी का विधिवत पूजन करना चाहिए. इस दिन श्री राधा-कृष्ण मंदिर में ध्वजा, पुष्पमाला, वस्त्र, पताका, तोरणादि व विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्नों एवं फलों से श्री राधाजी की स्तुति करनी चाहिए.
मंदिर में पांच रंगों से मंडप सजाएं, उनके भीतर षोडश दल के आकार का कमलयंत्र बनाएं, उस कमल के मध्य में दिव्य आसन पर श्री राधा-कृष्ण की युगलमूर्ति पश्चिमाभिमुख करके स्थापित करें. बंधु-बांधवों सहित अपनी सामर्थ्यानुसार पूजा की सामग्री लेकर भक्तिभाव से भगवान की स्तुति गाएं.
दिन में हरिचर्चा में समय बिताएं तथा रात्रि को नाम संकीर्तन करें. एक समय फलाहार करें. मंदिर में दीपदान करें.
*श्रीराधाष्टमी व्रत का पुण्यफल*
श्री राधा-कृष्ण जिनके इष्टदेव हैं, उन्हें राधाष्टमी का व्रत अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह व्रत श्रेष्ठ है. श्री राधाजी सर्वतीर्थमयी एवं ऐश्वर्यमयी हैं. इनके भक्तों के घर में सदा ही लक्ष्मीजी का वास रहता है. जो भक्त यह व्रत करते हैं उन साधकों की जहां सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है. इस दिन राधाजी से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.
जो मनुष्य श्री राधाजी के नाम मंत्र का स्मरण एवं जाप करता है वह धर्मार्थी बनता है. अर्थार्थी को धन की प्राप्ति होती है, मोक्षार्थी को मोक्ष मिलता है. राधाजी की पूजा के बिना श्रीकृष्ण जी की पूजा अधूरी रहती है.
*राधा रानी के मंत्र*
तप्त-कांचन गौरांगी श्री राधे वृंदावनेश्वरी
वृषभानु सुते देवी प्रणमामि हरिप्रिया
ॐ ह्रीं श्रीराधिकायै नम:.
ॐ ह्रीं श्रीराधिकायै विद्महे गान्धर्विकायै विधीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात्.
श्री राधा विजयते नमः, श्री राधाकृष्णाय नम:
लड्डू गोपाल जी के रहस्य.
क्या, आपके घर विराजते है लड्डू गोपाल, क्या आपने देखे है अपने लड्डू गोपाल के चमत्कार, क्या आप भी रिझाना चाहते है अपने नटखट लड्डू गोपाल को यदि हाँ तो यह पोस्ट अवश्य पड़े.
लड्डू गोपाल, जिनका नाम ही उनके भक्तों के मुख मण्डल को प्रसन्नता से आलौकित कर देता है . एक ऐसा प्यारा सा नन्हा सा बालक जिसके एक हाथ में सदा लड्डू विराजमान रहता है, लड्डू के बिना जो एक पग भी आगे नहीं बढ़ता.
जिसकी मोटी-मोटी गोल-गोल प्यारी-प्यारी आँखे सदैव लड्डू पर ही लगी रहती है, जिसका सर्वाधिक प्रिय भोग लड्डू है . लड्डू को देखते ही जिसकी आँखों में लालच दिखाई देने लगता है जीभ होंठों पर आ जाती है, लड्डू के लालच में जो कुछ भी करने को तैयार हो उनका नाम है लड्डू गोपाल .
जन्म-जन्म के भूखे हैं लड्डू के लड्डू गोपाल जी, इनकी लड्डू की भूख कभी समाप्त ही नही होती . लड्डू के नाम पर कोई भी भक्त इनको कभी भी कही भी बुला सकता है, दौड़े चले आते हैं लड्डू गोपाल जी .
किन्तु क्या लड्डू खाना और लड्डू के लिए मचलना यही लड्डू गोपाल जी का कार्य है. नही, कदापि नहीं, लड्डू गोपाल जी की महिमा अपरम्पार है. इनकी लीला और महिमा की कोई थाह नही, लड्डू गोपाल जी के चमत्कार निराले हैं . वर्तमान समय में घर-घर में लड्डू गोपाल जी विराजमान रहते है.
लड्डू गोपाल जी की सेवा करना, उनसे प्रेम करना कृष्ण प्रेमियों का सबसे प्रिय कार्य है. जिस भी घर में लड्डू गोपाल जी विराजमान होते हैं उस घर परिवार के सभी लोग लड्डू गोपाल जी से बहुत प्रेम करते है और पूरे मनोयोग से उनकी सेवा करते हैं. लड्डू गोपाल जी की सेवा में जो सुख प्राप्त होता है वह उनके भक्त ही जान सकते है, ऐसा सुख मानो सुख के सागर में ही खड़े हो, एक ऐसा आलोकिक सुख जो अन्यन्त्र कही भी प्राप्त नही हो सकता.
लड्डू गोपाल जी के सभी भक्त यह भली प्रकार जानते हैं कि लड्डू गोपाल जी मात्र एक प्रतीमा ही नही हैं वह एक जीवित शक्ति है. यूं तो प्रत्येक घर में अनेक देवी-देवताओं की मूर्ती फोटो आदि होती हैं, किन्तु लड्डू गोपाल जी की प्रतीमा में थोड़ी सी सेवा और प्रेम भाव से शीघ्र ही प्राण प्रतिष्ठा हो जाती है, तब लड्डू गोपाल जी घर के एक सदस्य के रूप में सदा साथ रहते है.
लड्डू गोपाल की सेवा तो अनेक घरों में कि जाती है किन्तु लड्डू गोपल जी के चमत्कार किसी-किसी को ही देखने को मिलते हैं. जिनको लड्डू गोपाल जी एक बार अपना चमत्कार दिखा दें उसका जीवन पूर्ण रूप से परिवर्तित हो जाता है.
फिर लड्डू गोपाल जी उसका साथ जीवन भर नहीं छोड़ते. लड्डू गोपाल जी एक बार जिस पर रीझ जाते हैं फिर एक पल भी उसका साथ नहीं छोड़ते. कहने वाले कुछ भी कहें लेकिन यह परम सत्य है कि एक बार लड्डू गोपाल जी का मन आप पर आ गया तो फिर वह आपका दामन कभी नहीं छोड़ने वाले. वह हर पल आपके साथ ही रहेंगे.
आप विश्वाश करें या न करे किन्तु वह एक जीवित सदस्य के समान ही आपके साथ व्यव्हार करेंगे. आपके साथ आपकी थाली में आपके हाथों से भोजन करेंगे, आपके साथ आपके बाजार जायेंगे, आपके साथ खेलेंगे. आपसे कहानी सुनेंगे, आपके साथ आपके बिस्तर पर ही सोएंगे, सर्दी लगेगी तो गर्म कपडे मांगेंगे, गर्मी लगेगी तो उसकी भी शिकायत करेंगे.
एक बच्चे के समान ही आपसे जिद्द भी करेंगे, तरह-तरह की खाने की वस्तुएं भी मांगेंगे. अच्छे कपडे भी पहनेंगे, आपसे लड़ेंगे भी और आपसे दुलार भी करेंगे. आपकी गोदी में बैठेंगे, आपकी बाते भी मांगेगे. इतना ही नहीं आप कहेंगे तो आपके कहे कार्य भी करेंगे.
आपसे खिलौने भी मांगेंगे ना केवल अपने लिए बल्कि यदि आपके साथ बाजार में हैं तो किसी भी असहाय बच्चे के लिए भी खिलौने लेने के लिए कहेंगे. गरीबों असहायों की सेवा भी आपसे करवाएंगे.
उनके लिए भोजन, वस्त्र आदि की व्यवस्था करवाएंगे. कोई गरीब यदि बीमार है तो उसके लिए आपसे दवा का प्रबन्ध भी करवाएंगे. जो लोग लड्डू गोपाल जी का ध्यान अपने पुत्र के सामान करते है लड्डू गोपाल जी उनके साथ भी पुत्र के सामान ही लाड करते हैं.
घर-परिवार के सदस्य यदि लड्डू गोपाल जी के साथ घुल-मिल जाएँ तो यह इस तरह उनसे घुल-मिल जाते हैं कि उन पर किसी की डाँट का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता आप डांटते रहिये वह मुस्कराते रहेंगे.
यदि आप किस बात पर रुष्ट हो जाएँ तो फिर वह आपको मनाने से भी पीछे नही हटते. हर पल खेलना, मस्ती करना, धमाल मचाना लड्डू गोपाल जी को बहुत प्रिय है. आपके साथ हर पल धमाल मचाते रहेंगे, फिर भी मन नही भरेगा.
लड्डू गोपाल जी के भक्त प्रेमियों यह मात्र काल्पनिक विवरण नही वरन एक शास्वत सत्य है. जो भी भक्त लज्जा और संकोच छोड़ कर लड्डू गोपाल जी में रम जाता है,
लड्डू गोपाल जी भी उसमे उसी प्रकार से रम जाते हैं. लड्डू गोपाल जी के बहुत से भक्त लड्डू गोपाल जी को प्रसन्न करना भली प्रकार से जानते हैं किन्तु अधिकांश भक्त इस बात से अनभिज्ञ है कि लड्डू गोपाल जी की कृपा किस प्रकार प्राप्त करी जाए.
लड्डू गोपाल जी को इस बात से कभी कुछ लेना देना नही कि आप उनकी पूजा, स्तुति किस प्रकार से कर रहे हो , उनको इससे भी कुछ लेना देना नही कि आप उन पर कितना पैसा ख़र्च कर रहे हो,
वह इस बात पर कभी ध्यान नहीं देते कि आपने उनकी सुख-सुविधा का कितना ध्यान रखा है लड्डू गोपाल जी तो मात्र यह देखते हैं कि उनके प्रति आपकी भावना कितनी शुद्ध, श्रद्धा पूर्ण और पवित्र है.
लड्डू गोपाल जी उस व्यक्ति से विशेष प्रसन्न रहते हैं जो अपने लिए नही दूसरों के लिए जीते हैं, जिनको अपने सुख की नही दूसरों के दुःख की अधिक चिंता रहती है, जो किसी के कष्ट को देखकर द्रवित होते हैं और उसका कष्ट दूर करने का प्रयास करते हैं.
जो स्वयं भूंखे रहकर भी दूसरों का पेट भरते हैं. ऐसी सांसारिक तपस्या की अग्नि से शुद्ध हुआ व्यक्ति लड्डू गोपाल के पीछे नहीं दौड़ता बल्कि लड्डू गोपाल उसके पीछे दौड़ते हैं की मुझे अपना लो ! !
लड्डू गोपाल जी एक बार जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसका जीवन हर प्रकार से सुरक्षित हो जाता है, सुख-समृद्धि, धन-वैभव की कोई कमी नही रहती.
समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होती है, रोग, कष्ट, कलशों से मुक्ति प्राप्त होती है. अधिक क्या कहना उस व्यक्ति के सम्बन्ध में भला क्या कहना जिसके साथ स्वयं भगवान हो.