Astrologer बता रहे वर्तमान और भविष्य का समय कैसा रहेगा?

Astrologer बता रहे वर्तमान और भविष्य का समय कैसा रहेगा?

प्रेषित समय :20:24:31 PM / Wed, Sep 11th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

किसी भी जातक का वर्तमान समय कैसा चल रहा है और भविष्य में समय कैसा रहेगा? यह सब निर्भर करता है जन्मकुंडली में चलने वाली मुख्य रूप से ग्रहो की महादशा पर.हर एक जातक पर किसी न किसी ग्रह की महादशा चल रही होती है और जब चल रही महादशा का समय खत्म हो जाता है तब भविष्य में जिस ग्रह की महादशा आने वाली होती है उस ग्रह की महादशा शुरू हो जाती है.अब जिस तरह की स्थिति वर्तमान में या भविष्य में चलने वाली महादशा ग्रह की होगी उसी तरह का समयकाल जीवन मे वर्तमान और भविष्य में बीतेगा.महादशाएं जिन ग्रहो की चल रही है या भविष्य में मिलेगी वह शुभ और बलवान है तब समय सुखद और अच्छा रहेगा और महादशाएं जिन ग्रहो की चल रही है , भविष्य में चलेगी वह ग्रह अनुकूल स्थिति में नही है तब ऐसे ग्रहो की महादशा जीवन मे निराशा देगी, अब निराशा किस क्षेत्र या किस तरह से देगी यह निर्भर करेगा वह महादशा नाथ ग्रह किस भाव का स्वामी है, किस भाव मे बेठा है, क्या स्थितियां कुंडली की खराब है आदि? महादशाओ के साथ कुछ अन्तरदशाये भी ग्रहो की चलती है जो छोटी-छोटी घटनाओं के लिए जीवन मे जिम्मेदार होती है.अब कुछ उदाहरणों से समझे कैसा फल महादशा कर सकती है और किस स्थिति में.

#उदाहरण_अनुसार_मेष_लग्न1:- किसी जातक या जातिका की मेष लग्न की कुंडली हो या बने तब यहाँ, माना नवमेश(भाग्यधिपति) गुरु की महादशा जातक पर चल रही है या भविष्य में जल्द ही आने वाली है तब यहाँ सबसे पहले तो गुरु की स्थिति पर निर्भर करेगा आखिरकार गुरु कुंडली मे बेठा किस स्थिति में है साथ ही गुरु का नवा भाव और बारहवा भाव मेष लग्न में किस स्थिति में है, जैसे;- गुरु यहाँ लग्न में मेष राशि का होकर बेठे साथ ही द्वितीयेश-सप्तमेश शुक्र भी गुरु के साथ लग्न में बेठा हो, और किसी तरह का गुरु शुक्र पर पाप या अशुभ ग्रहों का प्रभाव नही है तब निश्चित ही ऐसी स्थिति में गुरु की  महादशा बहुत सुखद और श्रेष्ठ फल देगी, जैसे भाग्योदय, साझेदारी व्यापार, वैवाहिक सुख, धनः ऐश्वर्य आदि सर्व तरह से सुखद समय व्ययतीत होगा, गुरु अकेला भी यहाँ लग्न में बेठा होगा और अस्त, पीड़ित , पाप ग्रहों के अशुभ या प्रभाव में नही होगा साथ ही नवमांश कुंडली मे नीच राशिगत नही होगा तब यह गुरु की दशा का समयकाल बहुत बढ़िया जाएगा.

#उदाहरण_अनुसार_कर्क_लग्न2:-किसी जातक या जातिका की कर्क लग्न कुंडली बनती हो, शुक्र चतुर्थ और एकादश(लाभ स्थान) का स्वामी होता है ऐसी स्थिति में अब शुक्र कुंडली मे बलवान होकर शुभ स्थानगत हो, जैसे शुक्र 5वे भाव मे वृश्चिक राशि का हो साथ ही वर्गोत्तम भी हो, और किसी तरह के अशुभ या पाप ग्रहों के प्रभाव से पीड़ित न हो, अस्त न हो तब ऐसे शुभ शुक्र की दशा वाहन, मकान, आयवृद्धि आदि, सांसारिक सुख-सुविधाओं से युक्त अच्छा समयकाल देगी, जीवन अच्छा चलेगा. #समय_थोड़ा_कमजोर_या_खराब_रहना|

#उदाहरण_अनुसार_सिंह_लग्न3:- किसी जातक या जातिका की सिंह लग्न की कुंडली बने तब यहाँ लग्नेश सूर्य की महादशा जातक को मिल जाये, लेकिन सूर्य किसी तरह की अशुभ स्थिति में हो जैसे लग्नेश सूर्य शनि के साथ हो और लगन में सूर्य के घर मे राहु बेठा हो तब ऐसी स्थिति में सूर्य की महादशा अच्छे फल नही देगी और समयकाल कमजोर रहेगा, ऐसी स्थिति में उपाय उपाय लाभ देगा.

#उदाहरण_अनुसार_तुला_लग्न4:- अब माना किसी जातक की तुला लग्न की कुंडली है यहाँ दशमेश चन्द्र होता है अब चन्द्रमा सूर्य के निकट बैठकर पूर्ण अस्त हो जाये तब चन्द्र की महादशा कार्यक्षेत्र और मानसिक अशांति के साथ जीवन मे निराशा और असफलता देगी.

राहु और केतु की महादशा का समय जीवन मे विशेष प्रभाव और परिवर्तन करता है यह राहु केतु की महादशा-दशा का नैसर्गिक फल होता है बाकी किस तरह के फल राहु केतु देंगे यह इनकी स्थिति जन्मकुंडली में किस तरह की है इस पर निर्भर करेगा.

इस तरह समयकाल रहेगा किस तरह का, कैसा व्ययतीत होगा, किस ग्रह की महादशा में क्या होगा, क्या फल मिलेगा? यह सब निर्भर करेगा कुंडली मे महादशा नाथ ग्रहो की स्थिति किस तरह की है.

Astrologer Rohit Gupta

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-