नई दिल्ली. भारत के शीर्ष टेनिस खिलाड़ी सुमित नागल ने पीठ में खिंचाव का हवाला देते हुए स्वीडन के खिलाफ हाल ही में डेविस कप मुकाबले से हटने का फैसला किया था। हालांकि अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) ने दावा किया है। एआईटीए का कहना है कि नागल ने डेविस कप मुकाबले में खेलने के लिए 50000 यूएस डॉलर (करीब 42 लाख रुपये) की वार्षिक फीस मांगी थी।
एआईटीए ने हाल ही में यह भी कहा था कि नागल ने जानबूझकर देश के लिए खेलने से मना किया था। नागल के हटने का परिणाम भी टीम को भुगतना पड़ा क्योंकि भारत स्वीडन के खिलाफ एकल विशेषज्ञ के बिना खेलने उतरा था जिस कारण टीम को 0-4 से हार झेलनी पड़ी। नागल एटीपी 250 हांग्झोउ ओपन में शामिल हुए थे और उन्हें बृहस्पतिवार को खेलना था लेकिन पीठ दर्द के कारण उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया।
एआईटीए महासचिव अनिल धूपर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई के हवाले से कहा, मुझे बताएं एक खिलाड़ी को देश के लिए खेलने के लिए पैसे क्यों मांगने चाहिए। यह एक बड़ा सवाल है। उन्होंने 50,000 यूएस डॉलर की सालाना फीस मांगी थी और कहा था कि अगर उन्हें भुगतान नहीं किया गया तो वह नहीं खेलेंगे। देश को तय करने दें कि यह सही है या नहीं। फिर यह सरकार और सभी का फैसला होगा। खिलाड़ियों को टॉप्स के जरिये भी भुगतान किया जाता है और ऐसा नहीं है कि उन्हें डेविस कप खेलने के लिए भुगतान नहीं किया जाता। उन्हें भुगतान किया जाता है।
नागल ने एआईटीए के दावे से इनकार नहीं किया और उन्होंने सोशल मीडिया पर एक बयान में अपना बचाव किया। इस शीर्ष एकल खिलाड़ी ने खुद का बचाव करते हुए कहा कि खिलाड़ियों को उनकी सेवाओं के लिए भुगतान किया जाना सामान्य बात है। उन्होंने कहा, मुआवजे के बारे में मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि पेशेवर खेलों में खिलाड़ियों के लिए यह आम बात है कि उन्हें प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए राशि दी जाती है, भले ही वे अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हों।
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