गया में पिंडदान से पहले जरूर कर लें ये काम, वरना पूजा हो जाएगी बेकार

गया में पिंडदान से पहले जरूर कर लें ये काम, वरना पूजा हो जाएगी बेकार

प्रेषित समय :20:38:01 PM / Wed, Sep 25th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

*गया में पिंडदान के लिए प्रवेश से पहले करा लें ये काम, वरना पूजा होगी व्यर्थ–*
*पिंड़दान नियम:- मृत पितरों को प्रेतलोक से मुक्ति के लिए पिंडदान का विधान है लेकिन आप गया में प्रवेश से पहले ये काम नहीं किए तो पूजा व्यर्थ होगी.
*पितृपक्ष में तीन पुश्तों के पूर्वजों तक का श्राद्ध किया जाता है और कोशिश की जाती है कि सभी मृत परिजनों का गया जाकर पिंडदान जरूर कर दिया जाए ताकि उनको प्रेतयोनी से मुक्ति मिल जाए. इसके लिए कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए वरना गया जाकर आपका किया गया पिंडदान कर्म व्यर्थ हो जाएगा.
*श्राद्ध का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कुछ अनिवार्य नियम हैं. गया में पिंडदान करने आने वाले पिंडदानी गया तीर्थ में उपवास नहीं करना चाहिए, उनके लिए फलाहार का विधान है. तो चलिए जानें कि गया में पिंडदान के लिए आने से पहले क्या कराना जरूरी होता है और श्राद्धकर्म के क्या नियम हैं.
*गया पहुंचने से पहले करा लें मुंडन
* गया में जाकर अपने बाल नहीं उतरनवाने यानी मुंडन नहीं कराना चाहिए. गया में प्रवेश से पहले मुंडन करा लें फिर गया में प्रवेश करें.
* पिंडदान के लिए पलाश के पत्ते जरूरी होते हैं. न मिलें तो आप इसे किसी भी दोने या पत्ते से बनी प्लेट में कर सकते हैं.
* दूध चावल की खीर और खोवा से बना पिंड सबसे उत्तम माना गया है. अन्यथा जौ या किसी गेहूं के आटे से भी पिंड बना सकते हैं. 
* श्राद्ध में मिट्टी के बर्तन को ग्रहण करने की भूल न करें. 
* गया में या कहीं भी पिंडदान के बाद परिवार का नाती को भोजन कराने से ये श्राद्धकर्म सबसे ज्यादा फलदायक माना जाता है. 
* इसके साथ ही कच्चा आंवला के समान गोलाकार पिंड बनाकर अर्पण करना और गौमाता को पिंड खिलाना सर्वोत्तम माना गया है. 
* श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन विषम संख्या एक, तीन या पांच होनी चाहिए. 
*भूलकर भी नहीं करें इन वस्तुओं का दान
श्राद्ध करने गया आए हैं तो कच्छ रहित धोती अथार्त लूंगी पहनना पूर्ण निषेध है. दान की सामग्री में नीला वस्त्र निषिद्ध है. लोहा की सामग्री दान ना करें. पिंडदान या सामग्री दान करने में पूर्ण श्रद्धा रखें.
*पिंडदान का सर्वोत्तम समय
पितरों को तृप्त करने के लिए तर्पण 11 बजे के बाद करें और श्राद्ध की उत्तम बेला मध्याह्न अथवा अपराह्न मानी गई है यानी 11ः30 से 12ः30 के बीच. श्राद्ध करने वाले को भूमि पर शयन करना. गया तीर्थ क्षेत्र में रात्रि निवास अगर कर रहे तो एक बार अन्न ग्रहण करें और सत्य का आचरण करें. धोती पहनने के साथ कंधे पर अंगौछा रखें. नंगे पैर से चलें, तेल मालिश, सुगंध से दूर रहे और ब्रह्मचर्य का पालन करें.
*ध्यान रखें इन बातों का भी
1. श्राद्ध में कुछ निषिद्ध है. पिंड पर केला अर्पण नहीं करना चाहिए.
2. खुले आसमान के नीचे ही पिंडदान करना चाहिए.
3. पिंड को स्थिर जल में डालना चाहिए.
4. क्रोध, तामसिक भोजन करना, दान लेना वर्जित है. 
5. गया तीर्थ में प्रवेश के पहले ही मुंडन कराना.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-