पलपल संवाददाता, जबलपुर/मंडला. एमपी के मंडला में शिक्षा विभाग में एक कर्मचारी की मौत के बाद भी तीन साल तक उसका वेतन निकलता रहा. इस मामले का खुलासा होने पर शिक्षा विभाग द्वारा आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. जिसपर आरोपी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर कर दी. हाईकोर्ट जस्टिस एके पालीवाल ने निवास ब्लाक में पदस्थ बीईओ शोभा अय्यर की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है. वही विजय कुमार श्रीवास्तव, रामनारायण पटेल व आनंद कुमार जैन की याचिका खारिज कर दी है.
हाईकोर्ट जस्टिस एके पालीवाल ने निवास की वर्तमान खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) शोभा अय्यर को अग्रिम जमानत दी. जबकि सहायक ग्रेड-3 विजय कुमार श्रीवास्तव व पूर्व बीईओ रामनारायण पटेल तथा आनंद कुमार जैन की याचिकाएं खारिज कर दीं. भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120 बी वर 34 के तहत और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं. मामला उस वक्त प्रकाश में आया जब यह पता चला कि सरकारी कर्मचारी ज्ञान सिंह धूमकेतु का निधन 13 अप्रैल 2020 को हो गया था. इसके बाद भी ज्ञानसिंह का वेतन कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश कुमार बर्मन के खाते में जमा किया जाता रहा.
धोखाधड़ी पूर्व बीईओ रामनारायण पटेल व आनंद कुमार जैन के कार्यकाल के दौरान हुई. उस वक्त विजय कुमार श्रीवास्तव क्लर्क थे. हालांकि श्रीमती शोभा अय्यर ने मार्च 2023 में चार्ज संभाला और इस अनियमितता को तत्काल पहचान कर जिला शिक्षा अधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई गई. शोभा अय्यर के अधिवक्ता अमृत रूपराह ने हाईकोर्ट को बताया कि उनकी पक्षकार 61 वर्ष की महिला हैं. इस घोटाले से उनका कोई संबंध नहीं है. उन्होंने बताया कि शोभा अय्यर ने यह पद अनिच्छा से संभाला था. उन्हें इस अनियमितता की जानकारी नहीं थी. चार्ज संभालते ही उन्होंने मृत कर्मचारी के वेतन भुगतान को रोकने के लिए कदम उठाए और अधिकारियों को सूचित किया. जस्टिस एके पालीवाल ने सबूतों को ध्यान में रखते हुए पाया कि शोभा अय्यर के खिलाफ आरोप पुष्ट नहीं हो रहे थे उन्हें अग्रिम जमानत दे दी गई. यह मानते हुए कि उनकी भूमिका सीमित थी. उन्होंने घोटाले का पर्दाफाश किया. हालांकि अन्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया गया क्योंकि उनकी सीधी जिम्मेदारी घोटाले के दौरान थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-