प्रत्यह सुबह और शाम को माता वृन्दावती- तुलसी जी की पूजार्चना करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. लेकिन इस के लिए सही विधि से पूजा करनी चाहिए. क्योंकि गलत तरीके से की गई पूजार्चन/ उपासना, लाभ के बजाय हानि भी पहुंचा सकती है..
तुलसी स्थापना का सही नियम :
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(१) तुलसी का पौधा किसी भी बृहस्पतिवार को लगा सकते हैं..
(२) तुलसी का पौधा लगाने के लिए कार्तिक का महीना सबसे उत्तम है..
(३) विशेषतः कार्तिक महीने में तुलसी के पौधे की पूजा से हर कामना पूरी होती है..
(४) तुलसी का पौधा घर की मुख्य दरवाजा के सामने या आंगन के बीच में लगाना चाहिए..
(५) अपार्टमेंट है तो शयन कक्ष की बालकोनि में भी तुलसी पौधा लगा सकते हैं..
(६)तुलसी के पौधे के पास धूप/ दीप जलाकर तथा पौधे में जल डालकर, सुबह और शाम को उसकी परिक्रमा करनी चाहिए..
धार्मिक मान्यताओं में तुलसी को लेकर और कुछ विशेष नियम और सावधानियां भी हैं, जिनका ध्यान रखने से गृहस्थ/ गृहिणियों की खराब से खराब किस्मत भी चमक उठती है. इसलिए तुलसी पूजन में निम्नोक्त बात पर ध्यान रखना जरूरी है; यथा--
(१) तुलसी के पत्ते हमेशा सुबह के समय ही तोड़ना चाहिए..
(२) रविवार के दिन तुलसी के पौधे के नीचे दीपक न जलाएं ..
(२) भगवान विष्णु और इनके अवतारों को तुलसी दल जरूर अर्पित करें..
(३) भगवान गणेश, शिव जी और माता (पार्वती) दुर्गा को तुलसी कतई न चढ़ाएं..
(४) तुलसी के पत्ते कभी बासी नहीं होते. इसीलिए पूजा में तुलसी के पुराने पत्तों का भी प्रयोग किया जा सकता है..
पूजा शेष में आरती गान
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ॐ जय तुलसि माता
हो मैय्या जय तुलसी माता,
निसदीन तूमको सेवत, मैय्याजी को निसदीन सेवत,
भक्ती मूक्ती पाता.. ॐ जय...
सेवा तुम्हारी प्रभुको भाए
तूम प्रभूको प्यारी,
हो मैय्या,तूम प्रभूको प्यारी,
तुम बीना भोग लगेना
चाहे छप्पन भोग धरे.. ॐ जय...
मुनी जन संत है ढूंडे
माहीमा तेरी भारी,
हो मैय्या महीमा तेरी भारी
तूम बिना सेवा अधूरी
भक्तन हीतकारी.. ॐ जय...
तूम हरी की पटरानी
कहते मूनी ज्ञानी,
हो मैय्या,कहते मूनी ग्यानी,
हरी हरी पत्तीयां तुम्हारी
जिवन रखवारी.. ॐ जय...
जो कोई तूमको ध्यावे
पाप उतर जाता,
हो मैय्या,पाप उतर जाता,
भवसागर तर जाता
मूक्ती पँथ पाता.. ॐ जय...
प्रत्यह तुलसी पूजा और आरती
प्रेषित समय :20:47:06 PM / Thu, Oct 3rd, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर