पूर्वजन्मों के दोष और जन्म कुंडली

पूर्वजन्मों के दोष और जन्म कुंडली

प्रेषित समय :22:56:59 PM / Sun, Oct 6th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जन्मकुंडली जातक के जीवन का दर्पण है.जातक ने अपने पूर्व जन्मों में किस सम्बन्ध में कैसे शुभ-अशुभ कर्म किए है इसकी जानकारी कुंडली से आसानी से जानी जा सकती है.कुंडली में स्थित ग्रह, भाव आदि की गहराई से जांच करने पर कुंडली में स्थिति ग्रहो की शुभ-अशुभ स्थिति का ज्ञान हो जाता है.
.कुंडली के बारह भाव और ग्रह किसी न किसी कारक संबंधी, वस्तु आदि से सम्बन्ध रखते है,यदि किसी जातक द्वारा पूर्व जन्मों में किसी सम्बन्ध में पाप कर्म किया है या अनजाने में जातक से पाप कर्म हो गया हो तो मिलने वाले अगले जन्म में जिस सम्बन्ध में पाप कर्म किया गया है या होगा उस कर्म सम्बंधित कारक ग्रह, कुंडली से सम्बंधित भाव, कारक भावो के द्वारा जातक की कुंडली में पाया जाता है. उसी अशुभ, पाप कर्म के अनुसार जातक की कुंडली के उसी भाव और संबंधी कारक ग्रह अशुभ, निर्बल, पीड़ित अवस्था में मिलते है जिस कारण जातक को उस भाव और कारक ग्रह संबंधी अशुभ और दुखदायी फल मिलते है. 
.जन्मकुंडली का पाचवा भाव, पाचवे भाव का स्वामी, इस भाव का कारक गुरु यदि अशुभ स्थिति में हों, कम से कम दो पाप ग्रहो से कमजोर होकर पीड़ित हो या 6, 8, 12 भाव में बैठकर पाप ग्रहो से दूषित हो आदि अन्य प्रकार से प्रबल अशुभ स्थिति में हो तब संतान की प्राप्ति होना असंभव है बिलकुल यदि ऐसी स्थिति में पंचमेश और कारक ग्रह के बली होने के कारण संतान प्राप्ति हो भी जाये तब जातक को उसका सुख अधिक नही मिलता.जो संतान दोष दर्शाता है इस भाव से और गुरु से शिक्षा का विचार भी किया जाता है ऐसे में जातक की शिक्षा भी बाधित हो सकती है.
.किसी भी भाव में कम से कम दो पाप ग्रहों का होना साथ ही भाव संबंधी फल का कारण ग्रह अशुभ होना उस भाव संबंधी दोष जातक की कुंडली में दर्शाता है.
इसी तरह सातवें भाव में कम से दो पाप ग्रह बैठे हो सप्तमेश भी निर्बल हो या विवाह के कारक ग्रह पुरुष के लिए शुक्र और स्त्री के गुरु की स्थिति अशुभ हो या केवल सातवे भाव में कम से कम दो पाप ग्रह बैठे हो शुभ प्रभाव सातवें भाव पर न हो तब वैवाहिक सुख बाधित होगा और कम मिलेगा, परेशानिया भी रहेंगी जो यह दर्शाता है जातक/जातिका ने विवाह या वैवाहिक जीवन संबंधी/पति या पत्नी संबंधी अपराध किया है या इस व्यक्ति ने अन्य किसी व्यक्ति का वैवाहिक जीवन ख़राब किया होगा आदि इसी सम्बन्ध में अन्य अपराध किया है जो आगामी जन्म में जातक की कुंडली में ग्रहो के द्वारा दोष के रूप में स्थित है.जिस किए गए पाप कर्म का फल जातक इस जन्म में उस सम्बन्ध में दुःख, अपमान आदि इसी तरह के रूप में भोगता है.इसी तरह सम्बंधित भाव, भावेश और ग्रहो की पीड़ित, निर्बल, अशुभ आदि स्थिति से अन्य दोषो का विचार किया जाता है.

ज्योतिष, वास्तु,कर्मकांड अनुसंधान केन्द्र आचार्य मण्डन मिश्र

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-