नई दिल्ली. अंतरिक्ष से भारत की निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. भारत अंतरिक्ष में 52 जासूसी उपग्रह भेजेगा. इनकी मदद से चीन और पाकिस्तान जैसे देश के चप्पे चप्पे पर नजर रखी जा सकेगी.
नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने अंतरिक्ष आधारित निगरानी (एसबीएस-III) के तीसरे चरण को मंजूरी दी है. इसके तहत बड़ी संख्या में जासूसी उपग्रहों को धरती की निचली और भूस्थिर कक्षाओं में पहुंचाया जाएगा. 52 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने पर 27 हजार करोड़ रुपए लागत आएगी.
वाजपेयी शासन के दौरान न SBS-1 को मिली थी मंजूरी
भारत पहले ही स्क्चस् कार्यक्रम के तहत कई जासूसी या अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रहों जैसे रिसैट, कार्टोसैट और जीसैट-7 श्रृंखला के उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है. SBS-1 को पहली बार 2001 में वाजपेयी शासन के दौरान मंजूरी दी गई थी. इसके तहत 4 निगरानी उपग्रह लॉन्च किए गए थे. इसके बाद दूसरे चरण में 2013 में 6 ऐसे उपग्रह लॉन्च किए गए. स्क्चस् के तीसरे चरण में 5 साल में 50 से अधिक उपग्रह लॉन्च होंगे. इससे आसमान से भारत की निगरानी क्षमता बढ़ेगी. पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा और चीन के साथ उत्तरी सीमा पर गहरी नजर रखी जा सकेगी. हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी जासूसी जहाजों और पनडुब्बियों की भी निगरानी होगी.
एआई फीचर से लैस होंगे उपग्रह
भारत के नए उपग्रह एआई फीचर से लैस होंगे. ये धरती पर मौजूद खुफिया जानकारी जुटाने के लिए अंतरिक्ष में एक-दूसरे के साथ बातचीत कर पाएंगे. 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित जियो (जियोसिंक्रोनस इक्वेटोरियल ऑर्बिट) के उपग्रह को कुछ पता चलता है तो वह इसके बारे में निचली कक्षा (400-600 किमी की ऊंचाई पर) में मौजूद दूसरे उपग्रह से अधिक सावधानी से जांच करने के लिए कहेगा.
नए उपग्रह तकनीक के मामले इतने एडवांस होंगे कि किसी जगह में होने वाले बदलाव को आसानी से पहचान लेंगे. ये उपग्रह खुद डेटा का विश्लेषण करेंगे और केवल जरूरी जानकारी जुटाएंगे.