परिवार के साथ देखने लायक फिल्म है- 'जिगरा'

परिवार के साथ देखने लायक फिल्म है-

प्रेषित समय :10:21:57 AM / Fri, Oct 18th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

फिल्म ‘जिगरा’ आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म में आलिया और वेदांग की जोड़ी आपका दिल जीत लेगी. भाई-बहन के रिश्ते को नए अंदाज में दिखाया गया है, जहां दिखाया गया है कि हमेशा भाई ही अपनी बहन की रक्षा नहीं कर सकता, जरूरत पड़ने पर बहन भी अपने भाई की रक्षा कर सकती है. फिल्म पूरी तरह से पारिवारिक फिल्म है, जिसे आप अपने पूरे परिवार के साथ जाकर देख सकते हैं.  

कहानी- फिल्म ‘जिगरा’ की कहानी एक अनाथ भाई-बहन पर आधारित है. माता-पिता की मौत के बाद सत्या (आलिया भट्ट) अपने छोटे भाई अंकुर (वेदांग रैना) का ख्याल रखती है. सत्या बचपन से ही अपने छोटे भाई अंकुर को लेकर काफी पजेसिव रही है. सत्या अपने बड़े पापा (आकाश दीप- दूर का रिश्तेदार) के बिजनेस में उनकी मदद करती है और दोनों उनके घर में ही रहते हैं. एक दिन आलिया के बड़े पापा अंकुर को बिजनेस के लिए अपने बेटे कबीर के साथ विदेश भेज देते हैं, जहां कबीर ड्रग्स केस में फंस जाता है, लेकिन उसके साथ पुलिस अंकुर को भी हिरासत में ले लेती है. आलिया के बड़े पापा अपने बेटे कबीर को बचा लेते हैं, लेकिन अंकुर को हर चीज के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उसे वहीं छोड़ देते हैं, जहां अंकुर को मौत की सजा सुनाई जाती है. आलिया सब समझ जाती है और अपने भाई को बचाने के लिए निकल पड़ती है. क्या सत्या अपने भाई को बचा पाएगी? ये जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी.

फिल्म का पहला भाग तो ठीक चलता है, लेकिन दूसरे भाग में आपको थोड़ी बोरियत महसूस हो सकती है, क्योंकि फिल्म की गति थोड़ी धीमी हो जाती है. आलिया के विदेश पहुंचते ही फिल्म थोड़ी धीमी हो जाती है. ऐसा लगता है जैसे फिल्म को जबरदस्ती खींचा जा रहा है. अगर फिल्म की अवधि थोड़ी कम कर दी जाती तो यह परफेक्ट होती.  

फिल्म ‘जिगरा’ में वासन बाला अपने निर्देशन का जादू चलाया है. उन्होंने हर एंगल से फिल्म को बेहतर बनाने की कोशिश की है. आलिया और वेदांग के बीच रिश्तों को जिस तरह से उन्होंने अपने कैमरे में कैद करवाया है, वो काफी शानदार है. बस एक चीज है जो फिल्म अखर रही है वो है एक ही मोड में फिल्म का चलते रहना. शुरू से लेकर आखिरी तक फिल्म काफी सीरियस रही. अगर बीच में इसे थोड़ा लाइट कर दिया जाता तो शायद यह और अच्छा होता. अचिंत ठक्कर और मनप्रीत सिंह के संगीत ने भी कमाल किया है. ‘फूलों का तारों का..’ गाने को उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से प्रजेंट किया है. इस फिल्म में न तो आपको कॉमेडी देखने को मिलेगा और न ही एक्शन. अगर आप रिश्तों पर बेस्ड फिल्म पसंद करते हैं तो यह आपके लिए एक अच्छा च्वाइस हो सकती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-