इमेट ट्रेंड्स की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन ने उत्तराखंड की बागवानी, विशेषकर उष्णकटिबंधीय फलों की खेती पर गंभीर असर डाला है. हिमालयी राज्य, जो अपनी अनुकूल जलवायु के लिए प्रसिद्ध है, पिछले सात वर्षों में फलों की पैदावार में भारी गिरावट का सामना कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते तापमान, अनियमित बारिश और चरम मौसम की घटनाओं ने बागवानी को प्रभावित किया है, जिससे उत्पादन क्षेत्र में 54% की गिरावट आई है और कुल उपज में 44% की कमी दर्ज की गई है.
उष्णकटिबंधीय फलों को खासा नुकसान
विशेष रूप से आम, लीची और अमरूद की पैदावार में काफी चुनौतियां आई हैं. अत्यधिक गर्मी और बारिश में उतार-चढ़ाव के कारण फलों का जलना, फट जाना और फफूंद संक्रमण जैसी समस्याएं बढ़ गई हैं. इसके अलावा, कीटों का बढ़ता प्रकोप और परागण में व्यवधान ने भी फलों की गुणवत्ता और बिक्री पर असर डाला है.
किसानों की कोशिशें और चुनौतियाँ
हालांकि, किसान जलवायु अनुकूल प्रथाओं को अपना रहे हैं. वे कम ठंड में उगने वाली सेब और आड़ू की किस्मों के साथ-साथ सूखा सहन करने वाले फलों जैसे ड्रैगन फ्रूट और कीवी की खेती कर रहे हैं. लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता के लिए निरंतर शोध, निवेश और रणनीतिक योजना की आवश्यकता बताई गई है.
सप्लाई चेन पर असर
रिपोर्ट में आपूर्ति शृंखला में भी बड़ी रुकावटों का ज़िक्र है. चरम मौसम की वजह से फलों के खराब होने की समस्या बढ़ गई है, जिससे आयातित किस्मों पर निर्भरता बढ़ी है और स्थानीय आपूर्ति पर दबाव पड़ा है.
निष्कर्ष
यह रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड के फल उत्पादन क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखने के लिए तकनीकी और बाज़ार आधारित समाधान अपनाना आवश्यक है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सके.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-