जबलपुर. पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर रेल मंडल के सतना के समीप मझगवां स्टेशन पर परख स्पेशल ट्रेन से इंस्पेक्शन करने पहुंचे चीफ लोको इंस्पेक्टर (सीएलआई) की गोंदिया-बरौनी एक्सप्रेस की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई, जैसे ही इसकी खबर रेल कर्मचारियों का लगी, उनमेें अधिकारियों की लापरवाही को लेकर आक्रोश फैल गया और बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने अफसरों का घेराव कर दिया. अधिकारियों को अपनी सुरक्षा के लिए आरपीएफ को बुलाना पड़ा.
वहीं इस घटना पर वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) ने प्रशासन की लापरवाही की घोर निंदा की है. यूनियन के मंडल अध्यक्ष बीएन शुक्ला व मंडल सचिव रोमेश मिश्रा ने दिवंगत रेल कर्मचारी को श्रद्धांजलि देते हुए प्रशासन से पूरी घटना की जांच कर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है,.
बताया जाता है कि रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा की जांच करने पहुंची परख स्पेशल एक्सप्रेस के साथ मझगवां स्टेशन का जायजा ले रहे सीएलआई जीतेेंद्र नाथ शुक्ला की गोंदिया बरौनी के इंजन से टकराने से मौत हो गई. इसके बाद वहां बवाल हो गया. जैसे ही अधिकारियों को इस घटना के बारे में जानकारी हुई, वे दबे पांव यहां से निकलने की कोशिश में जुट गए. तभी आक्रोशित कर्मचारियों ने स्पेशल ट्रेन का रास्ता रोककर अधिकारियों को घेर लिया. आलम यह था कि अधिकारियों को अपनी सुरक्षा के लिए आरपीएएफ बुलानी पड़ी.
20 मीटर हवा में उछला शव
सतना में चीफ लोको इंस्पेक्टर पद पर पदस्थ जीतेन्द्र नाथ शुक्ला मझगवां स्टेशन में ट्रेन चालकों की काउंसलिंग कर रहे थे. इसी दौरान, स्पेशल टीम के द्वारा उन्हें प्लेटफार्म तीन पर पहुंचने का अनाउंसमेंट कराया गया. जब वह मेन लाइन से होकर प्लेटफॉर्म की ओर जा रहे थे, तभी गोंदिया बरौनी एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन से उन्हें टक्कर लग गई. टक्कर इतनी जोरदार थी कि वह करीब 20 मीटर उछलकर प्लेटफार्म में जा गिरे. सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में चोट लगने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई.
स्पेशल ट्रेन और टीम का किया रास्ता जाम
जैसे ही इस घटना की जानकारी रेलवे के अन्य कर्मचारियों को हुई वे नाराज हो कर विरोध में उतर आए. स्पेशल ट्रेन से पहुंचे अधिकारी निरीक्षण छोड़कर वापस जबलपुर जाने लगे. सतना पहुंचने पर कर्मचारी संगठनों ने उनका रास्ता रोक लिया. इस बीच चीफ इलेक्ट्रिकल लोको इंजीनियर सहित अन्य अधिकारियों ने आरपीएफ से सुरक्षा मांगी. जिसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच सभी को थाने लाया गया.
चार स्टेशनों की सुरक्षा जांचने आई थी टीम
रेलवे की परख टीम सतना-मानिकपुर के बीच के चार स्टेशनों की सुरक्षा जांचने के लिए पहुंची थी. इसी टीम में जीतेन्द्र नाथ शुक्ला को भी शामिल किया गया था. पिछले कई दिनों से ड्यूटी पर होने के बाद भी उन्हें दबाव बनाकर निरीक्षण कराने ले जाने का आरोप कर्मचारियों ने लगाया है. कर्मचारियों का कहना है कि सगमा, जैतवारा, मझगवां और उसके बाद बारामाफी स्टेशन तथा गेट का निरीक्षण की तैयारी थी. सभी अधिकारी औपचारिक रूप से निरीक्षण पर परख में वापस आ गए. जबकि, जीतेन्द्र नाथ को काउंसलिंग के लिए लगा दिया गया.
कुछ महीने बाद था रिटायरमेंट
जीतेन्द नाथ राजेन्द्र नगर वसंत विहार कॉलोनी में रहते थे. उनका एक बेटा इंदौर में पढ़ाई करता है. कुछ महीने बाद ही उनकी रिटायरमेंट थी. इससे पहले ही वह दर्दनाक हादसे का शिकार हो गए. कर्मचारियों का मानना है कि यदि उन पर वर्कलोड नहीं होता, तो शायद यह स्थिति नहीं होती. बिना सीएलआई के पहुंचे ही परख को आगे बढ़ा दिया गया था.
शव छोड़कर आ गए अधिकारी
रेल कर्मियों का आरोप कि जितेंद्र नाथ शुक्ला की मौत के बाद निरीक्षण कर रहे अधिकारियों ने लाश को अकेला छोड़कर लौट आए. जानकारी के मुताबिक यह हादसा उस वक्त हुआ जब इंस्पेक्शन के लिए टीम मझगवां रेलवे स्टेशन निरीक्षण के लिए पहुंचे तभी अचानक पटरी पार कर रहे जितेंद्र नाथ शुक्ला ट्रैक पर आ रही ट्रेन को नहीं देख पाए और यह हादसा हो गया. हादसे के बाद अधिकारियों का दल सतना लौट आया लेकिन डेड बॉडी मझगवां रेलवे ट्रैक पर ही पड़ी रही.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-