केरल हाईकोर्ट: सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट मानहानि के बराबर, प्रभावी कानून की जरूरत!

केरल हाईकोर्ट: सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट मानहानि के बराबर, प्रभावी कानून की जरूरत!

प्रेषित समय :16:36:43 PM / Mon, Oct 28th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
केरल हाईकोर्ट का कहना था कि- सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट मानहानि के बराबर है, इसलिए प्रभावी कानून की जरूरत है.
खबरों पर भरोसा करें तो.... अदालत का कहना था कि- इसमें कोई संदेह नहीं है कि आईपीसी की धारा 499 फेसबुक सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से मानहानि पर लागू होगी, जो साइबर मानहानि टाइटल के अंतर्गत आएगी, क्योंकि आईपीसी की धारा 499 के तहत यह प्रावधान है कि जो कोई भी व्यक्ति बोले गए शब्दों या पढ़े जाने के इरादे से या संकेतों या दृश्य चित्रणों द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई आरोप लगाता है या प्रकाशित करता है, जिसका उद्देश्य नुकसान पहुंचाना है या यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि ऐसा आरोप उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगा.
खबरों की मानें तो.... अक्टूबर 2023 में एक याचिकाकर्ता जिसकी शिकायतकर्ता के साथ पहले से दुश्मनी थी, उसने उसके सम्मान को ठेस पहुंचाने के इरादे से  सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से वीडियो, स्क्रिप्ट, संदेश आदि प्रकाशित किए.
इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता के पिता को दो पोस्टकार्ड भी भेजे, जिसमें यह कहा गया था कि- उनकी बेटी दो बार गर्भवती हुई और दो बार गर्भपात भी कराया, इसके अलावा यह भी आरोप था कि याचिकाकर्ता ने उसे बदनाम करने के लिए फेसबुक पर उनकी तस्वीरें पोस्ट की, लिहाजा.... याचिकाकर्ता पर आईपीसी की धारा 509 और केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120 (ओ) के तहत दंडनीय अपराध करने का आरोप लगा.
इस मामले के तथ्यों के मद्देनजर अदालत का कहना था कि- फेसबुक पोस्ट को छोड़कर भी याचिकाकर्ता आईपीसी की धारा 509 और केपी अधिनियम की धारा 120 (व्) के तहत शिकायतकर्ता के पिता को दो अपमानजनक पोस्टकार्ड भेजने के लिए जिम्मेदार है.
अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट से निपटने के लिए कानून में कमी के मद्देनजर जस्टिस ए बदरुद्दीन का कहना था कि- आईपीसी की धारा 499 एक गैर-संज्ञेय अपराध है, उन्होंने एक व्यापक कानून की जरूरत पर जोर दिया, जो ऐसे अपराधों को संज्ञेय बनाता है, साथ ही कठोर दंड भी देता है.
इस मामले में अदालत ने कार्यवाही रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि- प्रथम दृष्टया ऐसी सामग्री मौजूद है, जिसके लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए!
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-