साल 2024 में यम द्वितीया यानी भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है. यह तिथि 2 नवंबर को रात 8 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 3 नवंबर को रात 10 बजकर 5 मिनट पर खत्म होगी. उदया तिथि के मुताबिक, भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन सुबह 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा. इसके बाद शोभन योग लग जाएगा. इसलिए, भाई दूज के दिन पूजा के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.
यम द्वितीया को भाई दूज के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार भाई-बहन के बीच प्रेम का प्रतीक है. इस दिन भाई अपनी बहनों से मिलने जाते हैं और बहनें अपने भाई का स्वागत करती हैं. इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक लगाती हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करती हैं.
भारतीय संस्कृति में भाईचार रिस्ते की अटूट सम्बन्ध, भाई- बहनों के आपस में पवित्र प्रेम- बन्धन और समर्पण भाव के साथ सदैव जुड़े है। इस नैसर्गिक सम्पर्क को द्वापर युग में श्रीकृष्ण और द्रौपदी तो उजाला किया था, आज भी इस पवित्र रिस्ते की प्रत्यक्ष मिसाल है-- श्रीक्षेत्र पूरी में श्रीमन्दिर के अंदर बहन सुभद्रा जी के साथ रत्नसिंघासन पर विराजमान महाप्रभु श्रीजगन्नाथ और बड़ेभाई श्रीबलभद्र जी।
पुराण कथा :
पुराण कथा के अनुसार कार्त्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि के दौरान बहन यमुना से मिलने आए थे यमराज जी। मृत्यु के देवता यमराज जी बहन के घर को रवाना होने से पहले नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया था। इसीलिए परम्परा क्रमिक प्रचलित इस कथा को सम्मान देते हुए, इस पवित्र तिथि को भाई- बहनों को समर्पित किया गया है। इस त्योहार के साथ कंहा- कंहा "चित्रगुप्त- पूजन" भी जुड़े है, जिस वजह से "भाई दूज" त्योहार को "यम- दूज" भी कहा जाता है। लोकाचार के अनुसार इस दिन बहनें, भाइयों के लंबी आयु, सुख- समृद्धि और सेहत की कामना कर रक्षाबन्धन के समान भाई को स्वागत करते हैं।।
यमराज ने इस द्वितीया के दिन जब अपनी लाडली बहन यमुना से मिलने आए, यमुना ने उनका बहुत सम्मान किया। इस दौरान यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा, तो उन्होंने वर मांगी-- "भैया, आप इस बहन को तो हर साल एक बार मिलने के लिए आएंगे और संसार में भी जो भाई इस दिन पवित्र जल में स्नान करने के बाद अपनी बहन के घर भोजन करेगा, उसको कभी मृत्यु का भय नहीं रहेगा।" यमराज ने खुश होकर "तथास्तु" बोला था। इसलिए तीनों लोकों में इस तिथि को "यम- दूज" कहा जाता है। इस दिन भाई को तिलक लगाकर प्रेमपूर्वक भोजन कराने से प्रेम बढ़ता है और भाई की उम्र और सेहत भी लंबी होती है।।
इस त्यौहार के दिन यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है। इस दिन शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुखी दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक करती हैं, साथ ही भाई के सफलता, सेहत और मनोकामना पूर्ति की कामना करती है।।