पलपल संवाददाता, इंदौर. एमपी के इंदौर में महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (एमजीएम) में पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) कर रहे एक स्टूडेंट ने रैगिंग से परेशान होकर सीट छोड़ दी. स्टॅूडेंट ने जब अपने मूल दस्तावेज मांगे तो कॉलेज प्रबंधन ने एडमिशन लेने भरे गए बॉन्ड के 30 लाख रुपए की मांग करते हुए कहा कि इसके बाद ही दस्तावेज लौटाए जाएगें. इस मामले में स्टूडेंट ने हाईकोर्ट की शरण ली. दोनों पक्षों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस एसए धर्माधिकारी की बेंच ने निर्देश दिए कि 18 नवंबर तक स्टूडेंट को ओरिजनल मार्कशीट्स लौटाएं. इसके साथ ही एनओसी भी देकर कोर्ट को सूचित करें.
इंदौर निवासी स्टूडेंट अभिषेक मसीह की ओर से एडवोकेट आदित्य सांघी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका लगाई. जिसमें कहा गया कि अब तक 7 स्टूडेंट्स ने 30 लाख रुपए की डिमांड किए जाने पर आत्महत्या कर ली है. अभिषेक के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है. ओरिजनल मार्कशीट्स न होने से आगे की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. अभिषेक के अधिवक्ता आदित्य सांघी ने कहा यह बहुत ही गंभीर विषय है. इस समस्या पर जनवरी 2024 में लोकसभा में बहस भी हुई थी. कहा गया था कि मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में स्टूडेंट्स लगातार सुसाइड कर रहे हैं. पीजी स्टूडेंट्स से 30 लाख रुपए का बॉन्ड सरकार द्वारा एडमिशन के दौरान ले लिया गया है. जब तक वे 30 लाख रुपए जमा नहीं करेंगे तो किसी भी कारण से सीट छोडऩे की परमिशन नहीं मिलेगी. यदि सीट छोड़ते हैं तो स्टूडेंट की ओरिजनल मार्कशीट्स कॉलेज वापस नहीं करेंगे. एनओसी सर्टिफिकेट भी नहीं देंगे. इस कारण 7 स्टूडेंट्स सुसाइड कर चुके हैं. कितने और स्टूडेंट्स ने सुसाइड का प्रयास किया है. एडवोकेट आदित्य सांघी ने बताया कि मुद्दे पर पार्लियामेंट में पूरे प्रश्नकाल में बहस की गई थी. इसके बाद पार्लियामेंट ने नेशनल मेडिकल कमीशन (पहले मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया थी) को निर्देश दिए थे कि मध्यप्रदेश सरकार को ये नियम हटाने को कहा जाए. मध्यप्रदेश सरकार ने ऐसा नहीं किया. अभिषेक को भी इसी कारण कॉलेज प्रबंधन ओरिजनल दस्तावेज नहीं लौटाकर 30 लाख रुपए की मांग कर रहा है इसलिए याचिका लगानी पड़ी.