दिल्ली. आतिशी के नेतृत्वी वाली दिल्ली विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल अगले वर्ष फरवरी तक ही बचा है. जिससे यह स्पष्ट है कि प्रदेश के अगले चुनाव में चार महीने से भी कम समय बचा है. इसका असर तेजी से बदल रहे राजनैतिक समीकरणों पर पडऩे लगा है. आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलोत इस्तीफा देकर भाजपा में शािमल हो गए है. वहीं भाजपा के दो बार के विधायक रहे अनिल झा व कांग्रेस के पूर्व एमएलए सुमेश शौकीन ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है.
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपनी जगह एक महिला को मुख्यमंत्री बनाकर आधी से ज्यादा आबादी के वोट बैंक को साधने की कोशिश की. आम आदमी पार्टी ने अब कैलाश गहलोत के इस्तीफे के बाद नया जाट कार्ड खेलते हुए सीएम आतिशी की कैबिनेट में रघुविंदर शौकीन को जगह दी है. इसके अलावा भाजपा व कांग्रेस के पूर्व विधायकों को पार्टी में शामिल कर ये माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है कि जनता उनके साथ है. एक बार फिर से दिल्ली की गद्दी पर वो काबिज हो रहे हैं. राजधानी की राजनीति में भाजपा ने भी जवाबी दांव खेला और आप के बड़े नेता, दिल्ली सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलोत को अपनी पार्टी में शामिल कर आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका दे दिया.
गहलोत ने आम आदमी पार्टी पर केंद्र के साथ लगातार लड़ाई करने और उन मूल्यों से समझौता करने का आरोप लगाया जिनके कारण लोग पार्टी की पसंद करते थे. गहलोत आप के प्रमुख चेहरा थे. कांग्रेस भी दूसरी पार्टी के नेताओं को अपने दल में शामिल कर रेस में बनी हुई है. सितंबर माह में ही दिल्ली के पूर्व मंत्री व आम आदमी पार्टी के विधायक राजेन्द्र पाल गौतम ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. उनका आरोप था कि आम आदमी पार्टी में एससी/एसटी/ओबीसी के लोगों को नजरअंदाज किया जाता हैए इसलिए मैंने कांग्रेस का दामन थामा है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नेताओं का दल बदल करना अब आम बात है. लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में बड़े नेताओं का इस तरह पलायन करने को हल्के में नहीं लिया जा सकता. ये राजनीतिक माहौल में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत हो सकते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-