अभिमनोज
दिल्ली के एक अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सोनू अग्निहोत्री के विरुद्ध हाईकोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणियों को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए रिकार्ड से हटा दिया है कि- अपीलीय अदालतों को न्यायिक अधिकारियों के व्यक्तिगत आचरण पर टिप्पणी करने में संयम बरतना चाहिए.
खबरों की मानें तो.... एडीजे ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, इस मामले में जस्टिस अभय एस. ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ का कहना था कि- जज भी मनुष्य होते हैं और उनसे भी गलतियां हो सकती हैं, लेकिन इन गलतियों को व्यक्तिगत आलोचना किए बिना ठीक किया जाना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि- एडीजे ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी जिसने अपनी टिप्पणियों को हटाने से इनकार कर दिया था.
खबरों की मानें तो.... इन टिप्पणियों में एडीजे के आचरण को न्यायिक दुस्साहस करार देते हुए उन्हें सावधानी और सतर्कता बरतने की सलाह दी गई थी.
इस विषयक न्यायमूर्ति ओका का कहना था कि- अपीलीय या पुनरीक्षण अदालतों के पास त्रुटियों को सुधारने का अधिकार है, लेकिन ऐसी आलोचना को न्यायिक आदेशों की खूबियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और व्यक्तिगत निंदा से बचना चाहिए!
सुप्रीम कोर्ट: अपीलीय अदालतों को न्यायिक अधिकारियों के व्यक्तिगत आचरण पर टिप्पणी करने में संयम बरतना चाहिए!
प्रेषित समय :20:56:54 PM / Sat, Nov 23rd, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर