नई दिल्ली. अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी करने के आरोप का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. एडवोकेट विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके इस मामले की जांच की मांग की है.
याचिका में अडानी ग्रुप के खिलाफ शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की मार्केट रेगुलेटर सेबी की ओर से की गई जांच में खामियों का भी आरोप लगाया गया है और सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की विश्वसनीयता पर चिंता जताई है.
याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा कि अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के आदेश और यूनाइटेड स्टेट सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन की शिकायत ने अडाणी ग्रुप की गड़बडिय़ों को उजागर किया है. उन्होंने कहा कि आरोप इतने गंभीर हैं कि देश के हित में भारतीय एजेंसियों की ओर से भी इस मामले की जांच की जानी चाहिए. हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच की मांग के लिए एडवोकेट विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुके हैं.
उचित राजनयिक माध्यम से समन भेजना होगा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड कमीशन (एसईसी) को गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर को उचित राजनयिक माध्यम से समन भेजना होगा, क्योंकि किसी विदेशी नागरिक को सीधे समन भेजना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. अमेरिकी एसईसी का विदेशी नागरिकों पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और वह उन्हें डाक से कुछ भी नहीं भेज सकता. 1965 हेग कन्वेंशन, भारत और अमेरिका के बीच पारस्परिक कानूनी सहायता संधि ऐसे मामलों को नियंत्रित करती है.
इससे पहले बीते दिन शनिवार को खबर आई थी कि अमेरिकी SEC ने गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडाणी को उन पर लगे रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए तलब किया था. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, अडाणी के अहमदाबाद स्थित शांतिवन फार्म हाउस और उनके भतीजे सागर के उसी शहर में बोदकदेव रेजीडेंसी पर 21 दिन के अंदर स्श्वष्ट को जवाब देने के लिए समन भेजा है.
न्यूयॉर्क ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के माध्यम से भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि इस समन की तामील के 21 दिनों के अंदर (जिस दिन आपको यह समन मिला, उसे छोड़कर) आपको वादी को अटैच्ड शिकायत का जवाब देना होगा या फेडरल रूल्स ऑफ सिविल प्रोसीजर के नियम 12 के तहत एक मोशन सर्व करना होगा. अगर जवाब देने में विफल रहते हैं, तो शिकायत में मांगी गई राहत के लिए अडाणी के खिलाफ फैसला लिया जाएगा. जवाब अदालत में दाखिल करना होगा.
24 अक्टूबर को न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में दर्ज हुआ था ये मामला
दरअसल, 21 नवंबर को यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस की ओर से कहा गया था कि अडाणी ने भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (करीब 2200 करोड़ रुपए) की रिश्वत दी या देने की योजना बना रहे थे. यह पूरा मामला अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ है. 24 अक्टूबर 2024 को न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में यह केस दर्ज हुआ था. बुधवार यानी 20 नवंबर को इसकी सुनवाई में गौतम अडाणी, उनके भतीजे सागर अडाणी, विनीत एस जैन, रंजीत गुप्ता, साइरिल कैबेनिस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है. गौतम अडाणी और सागर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया है. सागर अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-