MP: महिला से छेड़छाड़ के मामले में निर्दोष को बनाया आरोपी, 10 हजार रुपए का इनाम भी घोषित करा दिया, हाईकोर्ट में सतना एसपी ने मांगी माफी

MP: महिला से छेड़छाड़ के मामले में निर्दोष को बनाया आरोपी

प्रेषित समय :14:47:17 PM / Sun, Dec 1st, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर/सतना. एमपी के सतना में पुलिस सब इंस्पेक्टर (एसआई) ने महिला से छेड़छाड़ व मारपीट के मामले में एक निर्दोष युवक को आरोपी बनाकर झूठी चार्जशीट भी तैयार कर दी. यहां तक कि युवक को फरार बताते हुए दस हजार रुपए इनाम भी घोषित करा दिया. इसके बाद सतना की जिला अदालत से युवक के खिलाफ वारंट भी जारी करा दिया.

सतना के खमरिया गांव निवासी राजा,  रामजी व कैलाश चौधरी 28 अप्रैल को घूरड़ांग गांव (सतना) एक शादी समारोह में गए हुए थे. इसके बाद 4 मई को 32 साल की महिला ने कोलगंवा थाने में शिकायत करते हुए आरोप लगाया कि राजा, रामजी, कैलाश व विकास ने उसके साथ मारपीट और छेडख़ानी की है. महिला ने यह भी आरोप लगाए कि सब्जी व्यापारी राजा चौधरी के साथ उसका कुछ दिन पहले पैसों को लेकर विवाद हुआ था.

इसी का बदला लेने के लिए उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर पीटा. कोलगंवा थाना पुलिस ने चारों युवकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज लिया. यहां तक कि तीन आरोपी राजा, रामजी व कैलाश को उनके घर से गिरफ्तार किया. पुलिस जब चौथे आरोपी विकास को अरेस्ट करने उसके घर पहुंची, तो उसके पिता मूलचंद ने बताया कि बेटा तो 4 अप्रैल से ही महाराष्ट्र के नावड़ाफाटा में है. उस पर लगाए गए आरोप गलत हैं.

इस मामले में जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर अमरीश द्विवेदी थे. पुलिस लगातार विकास के घर पहुंचकर परिजन से पूछताछ करती रही. 1 जून 2024 को सतना एसपी ने विकास को अपराधी बताकर उस पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया. यह कार्रवाई कोलगंवा टीआई की रिपोर्ट पर एसपी ने ली. युवक का परिवार 8 महीने तक परेशान रहा. कभी पुलिस ने उनके घर आकरए तो कभी परिवार को थाने बुलाकर कई.कई घंटे पूछताछ के लिए बैठाकर रखा.

28 जून 2024 को कोलगंवा थाना के एसआई व मामले के जांच अधिकारी अमरीश द्विवेदी तलेजा (रायगढ़ महाराष्ट्र) पहुंचे. उन्होंने बस स्टैंड से ही विकास को फोन लगाकर बुलाया इसके बाद विकास के साथ फैक्टरी पहुंचे. फैक्टरी पहुंचकर 28 अप्रेल 2024 के दिन के सीसीटीवी कैमरे के देखे, इसी दिन घटना हुई थी, जिसमें विकास का जोड़ा गया था.

सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट दिखाई किया कि विकास फैक्टरी में काम कर रहा है. एसआई को पूछताछ में फैक्ट्री मालिक विनोद खानवलकर ने बताया कि विकास 4 अप्रैल को ही काम पर लौट आया था. तब से रोज आ रहा है. एसआई फैक्ट्री में लगे सीसीटीवी फुटेज, विकास की टावर लोकेशन लेने के बाद पंचनामा बनाकर 31 जून को सतना लौट आए. सतना लौटे एसआई ने विकास चौधरी की चार्जशीट तैयार की. अधिकारियों वर विभाग को गुमराह करते हुए न ही विकास की फैक्ट्री के सीसीटीवी फुटेज दिए. न ही फैक्ट्री मालिक के बयान व  विकास की मोबाइल लोकेशन की डिटेल दी. 5 अगस्त 2024 को कोलगंवा थाना पुलिस ने सतना जिला कोर्ट में चालान पेश कर दिया. 8 अगस्त 2024 को विकास के पिता ने बेटे की अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की. इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

एसआई ने थाना प्रभारी से लेकर एसपी तक को गुमराह किया. विकास पर 10 हजार का इनाम घोषित हो चुका था. ऐसे में पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए थे. जिला कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद विकास के वकील दीपक तिवारी ने 23 सितंबर 2024 को जबलपुर हाईकोर्ट में केस फाइल किया. 4 अक्टूबर 2024 को जस्टिस विवेक अग्रवाल ने सुनवाई की. एडवोकेट दीपक तिवारी ने कोर्ट को बताया कि जिस विकास को सतना पुलिस ने फरार बताकर उसके खिलाफ 10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है. वह 28 अप्रैल 2024 को महाराष्ट्र में था.

एसआई अमरीश द्विवेदी ने महाराष्ट्र जाकर विकास से पूछताछ भी की थी. अधिवक्ता ने इसके फोटो व पंचनामा भी कोर्ट में पेश किया. हाईकोर्ट ने हलफनामे के साथ सतना एसपी को कोर्ट आने का आदेश देते हुए अगली सुनवाई तय की.9 नवंबर को सतना एसपी आशुतोष गुप्ता ने सीएसपी को केस डायरी देखकर जांच के निर्देश दिए. 21 नवंबर को सीएसपी ने अपनी जांच रिपोर्ट में एसपी को बताया कि इस मामले में जांच अधिकारी अमरीश द्विवेदी ने केस में गंभीर लापरवाही बरती है. वरिष्ठ अधिकारियों को बताए बिना ही डायरी कोर्ट में पेश कर दी. सीएसपी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा कि इनके खिलाफ विभागीय जांच की जाए.  

विकास के पिता मूलचंद से लेकर शिकायतकर्ता महिला से पूछताछ की. इसके साथ ही विकास जिस फैक्ट्री में काम करता है. उस फैक्ट्री के मालिक विनोद खानवलकर से भी फोन पर बात करते हुए सभी सीसीटीवी फुटेज को देखा. एसपी ने भी माना कि एसआई ने जांच में लापरवाही बरती थी. हाईकोर्ट में सतना एसपी को इस केस में माफी मांगना पड़ गई. गौरतलब है कि महिला से मारपीट व छेडख़ानी की घटना जिस समय हुई तब युवक महाराष्ट्र में था. वह वहां एक फैक्ट्री में काम करता है.

जांच में एसआई को युवक के बेकसूर होने के सबूत भी मिले,  लेकिन उसने जानबूझकर उसे आरोपी बनाया. मामले में दोबारा जांच रिपोर्ट आने तक एसआई अमरीश द्विवेदी का ट्रांसफर रीवा हो गया. सतना एसपी ने 15 नवंबर को रीवा आईजी को लेटर लिखकर बताया कि विकास चौधरी केस की जांच के दौरान अमरीश द्विवेदी ने लापरवाही बरती. विभाग के अधिकारियों को गुमराह किया. इसलिए द्विवेदी पर कार्रवाई की जाए. आईजी के निर्देश पर रीवा एसपी ने एसआई को सस्पेंड कर दिया.

19 नवंबर को जिला कोर्ट में सतना पुलिस ने खात्मा रिपोर्ट प्रस्तुत करते बताया कि आरोपी विकास चौधरी के खिलाफ महिला के साथ मारपीट-छेडख़ानी के आरोप सिद्ध नहीं पाए. 26 नवंबर को सतना पुलिस ने हलफनामा हाईकोर्ट में पेश करते हुए माफी मांगी. हाईकोर्ट ने विकास को बेकसूर बताते हुए बरी कर दिया. सतना एसपी ने भी कोर्ट के सामने माफी मांगी.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-