विचित्र वीर हनुमान स्तोत्र से कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त होती

विचित्र वीर हनुमान स्तोत्र से कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त होती

प्रेषित समय :17:54:54 PM / Mon, Dec 9th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

विचित्र वीर हनुमान स्तोत्र के कई फ़ायदे हैं:
हनुमान जी की कृपा पाने में मदद मिलती है.
भक्तों को हनुमान जी की दिव्य शक्तियों का अनुभव होता है.
भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है.
यह स्तोत्र हनुमान जी के महत्वपूर्ण गुणों की महिमा का वर्णन करता है. 
 विचित्र वीर हनुमान का पाठ करने से कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त होती है साथ ही अगर कोई अदृश्य शत्रु है तो उसमें भी लाभ मिलता है । किसी भी प्रकार के अनिष्ट से रक्षा होती है
शनि मंगल के उपाय 
किसी की कुंडली में  शनि और मंगल कुपित है बार बार परेशानी खासकर बीमारी हो रही है और काफी दवा कराने के बाद भी बीमारी नही पिच छोड़ रही है तो हनुमान जी की बिशेष आराधना विचित्र वीर हनुमान स्त्रोत का पाठ करने से बीमारी ठीक हो जाती है और जो दवा पहले की जा रही थी और फायदा नही मिल पा रहा था अब वही दवा अब फायदा करने लगेगा
 विचित्र वीर हनुमान का पाठ प्रतिदिन शनिवार को 11 बार किया जा सकता है परंतु  यदि बीमारी गंभीर है तो 108 बार पाठ करने के बाद हवन किया जाना चाहिए जिससे बीमारी ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है ।
विचित्र वीर हनुमान पाठ के लाभ
विचित्र वीर हनुमान का पाठ करने से कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त होती है साथ ही अगर कोई अदृश्य शत्रु है तो उसमें भी लाभ मिलता है । किसी भी प्रकार के अनिष्ट से रक्षा होती है ।"
: श्री विचित्रवीर हनुमान मारुति स्तोत्रम् 
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय।
प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय।
भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय।
ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।
मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन। अमुकं मे वशमानय।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय
चूर्णय चूर्णय खे खे
श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु
ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।
हन हन हुं फट् स्वाहा॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति॥
*इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम्*

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-