रायपुर. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित बर्खास्त आईपीएस जीपी सिंह की बहाली का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कैट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. इससे पहले हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग केस को राजनीति से प्रेरित मानकर खारिज कर दिया है. इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत दी है.
दरअसल, 30 अप्रैल को छत्तीसगढ़ पुलिस के सीनियर अधिकारी आईपीएस जीपी सिंह को केट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से बड़ी राहत मिली थी. केट ने चार सप्ताह में जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलों को निराकृत कर बहाल किए जाने का आदेश दिया था. जुलाई 2023 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी.
कैट के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती
कैट के फैसले के बाद राज्य शासन ने उन्हें फिर से बहाल करने के लिए केंद्र सरकार से अनुशंसा की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें बहाल करने के बजाय कैट के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी. इसके चलते उनकी बहाली का मामला अटक गया. दिल्ली हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अब फैसला आने के बाद जीपी सिंह की बहाली का रास्ता साफ हो गया है.
संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग के तीन अलग-अलग केस
दरअसल, आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग के तीन अलग-अलग केस दर्ज किया गया था, जिसमें उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी और उन्हें लंबे समय तक जेल में भी रहना पड़ा था, जिस पर केंद्र सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी. वहीं, जीपी सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक केस को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. केस की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने उनके खिलाफ दर्ज तीनों एफआईआर को निरस्त कर दिया है.
परेशान करने के लिए झूठे केस दर्ज कर फंसाया गया
हाईकोर्ट कोर्ट ने कहा था है कि इस तरह से परेशान करने के लिए झूठे केस दर्ज कर फंसाया गया है. किसी भी केस में उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं है. इसी आधार पर याचिकाकर्ता के एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया और बताया कि अब उनके खिलाफ कोई केस ही दर्ज नहीं है. ऐसे में उनकी बर्खास्तगी आदेश भी निरस्त किया जाए. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश राय और एसबीएन भाटी की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई, जिसमें जीपी सिंह की तरफ से सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया ने पैरवी की. वहीं छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अधिवक्ता हिमांशु पांडे ने उन्हें असिस्ट किया किया और पूरे मामले की जानकारी दी.
हाईकोर्ट बोला- राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया
14 नवंबर को आईपीएस जीपी सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को चुनौती दी थी. उन्होंने हाईकोर्ट में एडवोकेट हिमांशु पांडेय के जरिए याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया कि, तत्कालीन सरकार ने उन्हें राजनीतिक षड्यंत्र के तहत फंसाया है. किसी में कोई साक्ष्य नहीं हैं. इस दौरान हाईकोर्ट ने माना कि उन्हें परेशान करने के लिए बिना सबूतों के एफआईआर दर्ज की गई थी. इनमें एक भी केस चलने लायक नहीं है. सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने तीनों एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-