अनिल मिश्र/पटना
भारतीय रेल भविष्य में ट्रेनों को सौर ऊर्जा से संचालित करने की तैयारी कर रहा है. बिहार से इसकी शुरुआत करने की योजना पर काम शुरू हो चुका है. इसके लिए रेलवे खाली पड़ी जमीनों पर सोलर पैनल लगाएगा.सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली सीधे ग्रिड में जाएगी. जो ट्रेनों को ऊर्जा आपूर्ति करेगा.इस योजना के सफल होने पर रेलवे को बिजली खरीदने पर होने वाला करोड़ों रुपये का वार्षिक खर्च बचाया जा सकेगा. साथ ही रेलवे बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर भी हो जाएगा.
पूर्व रेलवे के तहत बिहार के मुंगेर जिले के जमालपुर में सौर ऊर्जा उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनाने की योजना बनाई है.यहां खाली जमीनों पर सोलर प्लांट लगाए जाएंगे. जिनका संचालन एवं रखरखाव रेल इंजन कारखाना जमालपुर प्रशासन द्वारा किया जाएगा.पीपीपी मोड के तहत 3.7 मेगावाट और कैपेक्स मोड के तहत 260 किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है.ऊर्जा बचत के लिए एलईडी लाइटिंग और अन्य ऊर्जा कुशल उपकरणों का उपयोग कर 30% ऊर्जा खपत कम की गई है.इसके अतिरिक्त 500 किलोवाट का एक सोलर प्लांट पहले से भी स्थापित है.
भारतीय रेलवे की इस पहल से वातावरण में हर साल 35 मिलियन टन कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन रोका जा सकेगा. बिहार के मुंगेर जिले अंतर्गत आने वाले जमालपुर क्षेत्र में रेलवे ट्रैक के किनारे खाली जमीनों का उपयोग सोलर पावर प्लांट स्थापित करने के लिए किया जाएगा. रेलवे एनर्जी मैनेजमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इसके लिए बाकायदा सर्वेक्षण भी कराया है. जिसमें पं बंगाल के मालदा टाउन से लेकर बिहार के लक्खीसराय जिले के किऊल जंक्शन तक सोलर प्लांट लगाने की योजना है.
इस योजना के तहत शुरुआती चरण में 500 केवी क्षमता का सोलर प्लांट स्थापित किया जाएगा.आत्मनिर्भर भारत अभियान को साकार करने के लिए भारतीय रेल ने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को खुद पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.रेलवे ने 2030 तक मालदा जोन में बिजली उत्पादन को 21 बिलियन यूनिट से बढ़ाकर 33 बिलियन यूनिट तक पहुंचाने की योजना बनाई है. इस दौरान कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने का लक्ष्य रखते हुए.भारतीय रेल दुनिया की सबसे बड़ी नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन करने वाली सरकारी इकाई बन जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-