कोल्हापुर. महाराष्ट्र के कोल्हापुर से हैरान करने वाली खबर सामने आई है. चमत्कार होते हैं, सुना था लेकिन कोल्हापुर में लोगों ने आंखों से चमत्कार होते देखा. एक बुजुर्ग व्यक्ति को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, लेकिन जब एंबुलेंस में उसका शव लेकर परिजन जा रहे थे तो अचानक एंबुलेंस सड़क पर बने गड्ढे के ऊपर से गुजरी.
झटका लगते ही बुजुर्ग जिंदा हो गया, यह देखकर उसके परिजन डर गए और वे उसे तुरंत अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे स्वस्थ घोषित कर दिया. डॉक्टरों का कहना है कि जिसने पांडुरंग को मृत करार दिया, उन्हें भी कुछ लगा होगा, लेकिन वह जी उठे तो इसे चमत्कार ही कहा जाएगा. पांडुरंग अब बिल्कुल स्वस्थ हैं और दवाई देकर घर भेज दिया गया है.
मरकर जिंदा हुए बुजुर्ग व्यक्ति का नाम पांडुरंग तात्या है, जिसे हार्ट अटैक आया था और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. घर वालों ने अंतिम संस्कार की तैयारी की और बुजुर्ग के शव को एंबुलेंस के जरिए घर लाया जाने लगा. बीच रास्ते में एंबुलेंस बड़े से गड्ढे से टकरा गई और अचानक बुजुर्ग पांडुरंग सांसें लेने लगे. उनके हाथों-पैरों की उंगलियों में हलचल होने लगी.
चक्कर आने से बेहोश होकर गिर गए थे पांडुरंग
65 वर्षीय पांडुरंग तात्या उल्पे के पोते रोहित रामाने ने बताया कि 15 दिन के इलाज के बाद वापस घर आए तो घरवालों ने उनका स्वागत किया. पांडुरंग कोल्हापुर के कस्बा बावड़ा इलाके में रहने वाले हैं और वे कहते हैं कि उनका पुनर्जन्म हुआ है और वह भी सिर्फ एक स्पीड ब्रेकर की वजह से हुआ है. उन्होंने बताया कि 16 दिसंबर 2024 की शाम को अचानक उन्हें चक्कर आया और वह गिरकर बेहोश हो गए. परिजन अस्पताल ले गए तो पता चला कि हार्ट अटैक आया है.
प्राथमिक जांच में ही डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. परिजन उनको अंतिम संस्कार के लिए घर ले जाने लगे. रास्ते में कस्बा बावड़ा क्षेत्र में ही एम्बुलेंस ने एक स्पीड ब्रेकर को टक्कर मार दी. झटका लगने से पांडुरंग तात्या को होश आने लगा. उनकी उंगलियों में हलचल होने लगी. उन्होंने आंखें खोल ली तो परिजन एक बार तो डर गए. फिर वे वापस अस्पताल लेकर गए और डॉक्टर ने चेकअप किया तो वह जिंदा हो गए. डॉक्टरों ने भी उन्हें बिल्कुल ठीक और स्वस्थ बता दिया.
डॉक्टरों और परिजनों ने बताया चमत्कार
पांडुरंग की पत्नी बालाबाई उलपे ने बताया कि 16 दिसंबर को पांडुरंग तात्या उल्पे को दोपहर के समय अपने घर पर अस्वस्थता महसूस हुई. चक्कर आने के बाद दिल का दौरा पडऩे से वे बेहोश हो गए. परिजनों ने उन्हें इलाज के लिए कोल्हापुर के गंगावेश स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 2-3 घंटे बाद पांडुरंग तात्या को डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
लेकिन जब एंबुलेंस में उन्हें होश आया तो परिजन उन्हें उसी एम्बुलेंस से कदमवाड़ी क्षेत्र के एक बड़े अस्पताल में ले गए और भर्ती कराया. यहां 15 दिन के इलाज के बाद पांडुरंग तात्या घर वापस जिंदा लौट आए हैं. जो भी हो, पांडुरंग विठ्ठल के भक्त पांडुरंग तात्या बचपन से ही वारकरी संप्रदाय के भक्त रहे हैं और भगवान विठ्ठल के भक्त हैं. भगवान विठ्ठल ने ही उन्हें नया जीवनदान दिया है.