बेंगलूरू. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि बीमा पॉलिसी से मिलने वाली मेडिक्लेम की रकम को मोटर वाहन अधिनियम के तहत इलाज के खर्च और अस्पताल में भर्ती होने के लिए दिए गए मुआवजे में से काटा जाएगा. हाईकोर्ट ने सड़क हादसे में घायल दंपती के मुआवजे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया.
कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश हंचते संजीव कुमार ने बीमा कंपनी को सड़क हादसे में घायल होने वाले एस हनुमनथप्पा के परिवार को 4,93,839 रुपये और छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से मुआवजा देने का निर्देश दिया. वहीं अदालत ने बीमा कंपनी को मेडिक्लेम पॉलिसी के जरिये पहले चुकाए गए 1.8 लाख रुपये की कटौती करने का आदेश दिया.
10 दिसंबर 2008 को बंगलूरू के मराठाहल्ली के निवासी हनुमनथप्पा की बाइक को एक ऑटो रिक्शा चालक ने टक्कर मार दी थी. वह अपनी पत्नी के साथ लेपाक्षी से सेवा मंदिर गांव लौटते समय सड़क दुर्घटना का शिकार हुए थे. हादसे में हनुमनथप्पा और उनकी पत्नी दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए. घटना के बाद हिंदूपुर ग्रामीण पुलिस ने एक मामला दर्ज किया. इसके बाद हनुमनथप्पा ने बंगलूरू मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया.
न्यायाधिकरण ने 22 मार्च 2013 को पीडि़त को मुआवजे के रूप में 6,73,839 रुपये देने का आदेश दिया. इसमें चिकित्सा व्यय के लिए 5,24,639 रुपये शामिल थे. इस आदेश को चुनौती देते हुए बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत 1.8 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति को चिकित्सा व्यय श्रेणी के तहत दी गई मुआवजा राशि से काट लिया जाना चाहिए. अदालत ने अपने पिछले फैसले के आधार पर मेडिक्लेम की रकम की कटौती को बरकरार रखा और कहा कि मेडिक्लेम के माध्यम से प्राप्त प्रतिपूर्ति राशि को अंतिम मुआवजे की गणना में शामिल किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि प्रतिपूर्ति राशि निर्विवाद थी. इसलिए इसे चिकित्सा व्यय से काट लिया जाएगा.
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