वॉशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति ने अपने विदाई भाषण में कहा कि देश में रईसों के एक छोटे से तबके का वर्चस्व बढ़ रहा है. इससे देश और लोकतंत्र को खतरा है. उन्होने देर रात राजधानी वॉशिंगटन डीसी के ओवल ऑफिस से अपना विदाई भाषण दिया. भाषण में उन्होंने एक बार भी डोनाल्ड ट्रम्प का नाम नहीं लिया. हालांकिए उनका पूरा भाषण ट्रम्प की नीतियों और उनके सहयोगियों के इर्द.गिर्द ही रहा.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने देश में टेक.इंडस्ट्रियल कॉम्पलेक्स के उभार पर चिंता जताई. बाइडेन ने इससे अमेरिकी नागरिकों के अधिकारों को खतरा बताया. अपने कार्यकाल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमने जो कुछ भी किया है, उसका असर दिखने में समय लगेगा. लेकिन बीज बो दिए गए हैं, वे बढ़ेंगे और आने वाले दशकों तक खिलेंगे. गौरतलब है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) के मालिक इलॉन मस्क व उद्योगपति विवेक रामास्वामी जैसे कई लोगों ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में खुलकर ट्रम्प का सपोर्ट किया था. ट्रम्प ने चुनाव जीतने के बाद मस्क और रामास्वामी को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी की जिम्मेदारी भी सौंपी है. यह डिपार्टमेंट नौकरशाही को खत्म करने, फिजूलखर्ची में कटौती करने के साथ साथ सरकार को बाहर से सलाह भी देगा. इस वजह से कई विपक्षी नेताओं का कहना है कि राष्ट्रपति भले ही ट्रम्प बने हैं, लेकिन असल ताकत मस्क के हाथों में आ गई है.
बाइडेन ने कहा कि अमेरिकी लोगों पर फेक न्यूज का जाल फैला दिया गया है. इसके जरिए सत्ता का दुरुपयोग हो रहा है. हमें संविधान में संशोधन करने की जरूरत है, जिससे तय हो सके कि कोई भी इंसान राष्ट्रपति पद पर रहते किए गए अपने अपराधों से आजाद नहीं है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों के कार्यकाल तय करने, नैतिक सुधार लागू करने व कांग्रेस सदस्यों के स्टॉक ट्रेडिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों ने 2021 में उनके राष्ट्रपति चुनाव हारने पर अमेरिकी संसद की बिल्डिंग कैपिटल हिल में घुसकर तोडफ़ोड़ की थी. इस मामले में ट्रम्प पर भी आरोप लगाए गए थे. इससे अलावा न्यूयॉर्क कोर्ट ने 10 जनवरी को ट्रम्प को पोर्न स्टार को पैसे देकर चुप कराने के मामले से जुड़े 34 आरोपों में सजा सुनाई थी. हालांकि कोर्ट ने ट्रम्प को जेल न भेजकर बिना किसी शर्त बरी कर दिया था.
सबसे युवा सीनेटर से राष्ट्रपति तक बाइडेन के करियर पर एक नजर-
राष्ट्रपति पद से हटने के साथ ही बाइडेन के 5 दशक के राजनीतिक करियर का अंत हो जाएगा. उन्होंने 1972 में डेलावेयर राज्य से 30 साल की उम्र में सीनेटर चुनाव जीतकर अपने करियर की शुरुआत की थी. उस वक्त बाइडेन देश के सबसे युवा सीनेटर थे. उन्होंने 1988 व 2008 में राष्ट्रपति उम्मीदवारी की रेस में भी हिस्सा लिया. 2008 में बराक ओबामा की जीत के बाद वो अगले 2 कार्यकाल तक उपराष्ट्रपति भी रहे. 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी ने डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ उन्हें अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया. 2020 में ट्रम्प को हराकर बाइडेन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बने. 2024 में उन्होंने पार्टी के दबाव की वजह से दूसरी बार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी छोड़ दी थी. इसके बाद कमला हैरिस राष्ट्रपति उम्मीदवार बनीं, जिन्हें ट्रम्प के हाथों हार का सामना करना पड़ा. चुनाव के नतीजे पर बोलते हुए बाइडेन ने कहा था कि अगर वो उम्मीदवार होते तो ट्रम्प को हरा सकते थे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-