अभिमनोज
दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप के एक आरोपित की जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिस पर विवाहित महिला के निजी वीडियो को लीक करने का आरोप है और कहा कि- संबंध बनाने के लिए दी गई सहमति का मतलब यह नहीं है कि निजी पलों के वीडियो को भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की स्वीकृति दे दी गई है.
खबरों की मानें तो.... एक शादीशुदा महिला ने अपने एक पुरुष परिचित से किसी कोर्स के लिए साढ़े तीन लाख रुपये का कर्ज लिया था, जो उसे नौकरी के बाद चुकाना था.
इस तरह संपर्क में आने पर दोनों की नजदीकी बढ़ने लगी, वॉट्सऐप पर दोनों लगातार संपर्क में थे, जहां पुरुष परिचित के कहने पर महिला ने कपड़े भी उतार दिए, जिसके बाद उस व्यक्ति ने अपने मोबाइल फोन पर उसका न्यूड वीडियो दिखाते हुए ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और वीडियो को सार्वजनिक करने की धमकी देते हुए उससे दो दिनों तक रेप भी किया.
खबरें हैं कि.... उस महिला का यह भी आरोप है कि- पुरुष परिचित ने उसके निजी वीडियो को उसके पैतृक गांव के लोगों को भेजना शुरू कर दिया और उसे बदनाम करने लगा, यही नहीं, उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी उसके ऐसे वीडियो पोस्ट किए. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपित की जमानत याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि- सहमति का मतलब यह नहीं है कि- कोई आपके निजी क्षणों को कैद करके सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दे.
खबरों पर भरोसा करें तो.... दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने इस मामले में अपने आदेश में कहा कि- यदि शिकायतकर्ता ने किसी भी समय शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दी थी, तो भी इसका मतलब यह नहीं है कि उसने अपने निजी क्षणों को कैद करने और सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो पोस्ट करने की स्वीकृति दी है, शारीरिक संबंध बनाने की सहमति किसी व्यक्ति के निजी क्षणों के शोषण या उन्हें अपमानजनक तरीके से प्रस्तुत करने की सहमति नहीं होती है.
अदालत ने आरोपित की जमानत याचिका खारिज कर दी!